चंद्रपूर। जिलेभर में तम्बाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के बढ़ते खतरे से निपटने और इससे नई पीढ़ी को बचाने के लिए चंद्रपुर पुलिस ने नियमित और प्रभावी तरीके से सिगरेट और तंबाकू उत्पाद अधिनियम का कार्यान्वयन शुरू करने का फैसला किया है। इस संबंध में गुरुवार को “कोटपा जागरुकता अभियान कार्यक्रम” आयोजित के दौरान पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन चंद्रपुर जिला पुलिस के नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट के सहयोग से संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के तकनीकी सहयोग द्वारा किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के अन्य 17 जिलों में सीओटीपीए को लागू करने में पुलिस के अनुभव को भी साझा किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने तंबाकू के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए एक बड़ी पहल के तहत 24 जनवरी, 2018 को मुंबई में “तम्बाकू मुक्त महाराष्ट्र अभियान” शुरू किया था। जिला पुलिस अधीक्षक डा.एमसीवी महेश्वर रेड्डी ने कहा कि तंबाकू मुक्त चंद्रपूर बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की जायेगी,जिसके तहत जिले को पूरी तरह से तंबाकू मुक्त बनाया जायेगा। यह कार्य सभी के सकारात्मक सहयोग से युवा पीढ़ी को बचाने के लिए किया जायेगा।
जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हम सबका सामाजिक दायित्व भी बनता है कि हम दैनिक कार्यों के साथ-साथ समाज के लिए भी सकारात्मक रुप से काम करे। खासतौर पर सभी शिक्षण संस्थानों के एक सौ गज की दूरी पर व सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की बिक्री व सेवन दोनों पर ही रोक लगाने की आवश्यकता है। ताकि हमारी युवा पीढ़ी को इससे बचाया जा सके। इसके लिए अभियान चलाया जायेगा।
डा.रेड्डी ने कहा, “हम जिले में कोटपा के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे। आज के प्रशिक्षण ने हमें समस्या की भयावहता को समझने में मदद की है। ऐसे घातक व्यसनों से युवाओं को रोकना बेहद जरूरी है।” युवाओं को इस तरह के नशों से बचाने में पुलिस अपनी भूमिका सकारात्मक तरीके से निभाकर जिले को तंबाकू मुक्त बनाएगा। इस अवसर पर नागपुर के हैड नेक कैंसर सर्जन और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संरक्षक डॉ.प्रणव इंगोले ने कहा, “तंबाकू जनित बीमारियों के मेरे मरीज जिनका ऑपरेशन किया जाता है उन्हें काफी तकलीफदायी हेाता है और वे गुणवत्ता वाला जीवन नहीं जी पाते हैं। इससे उनके परिवार को भी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है।
डा. इंगोले ने कहा ऐसे सभी लोगों को तम्बाकू का सेवन करने लिए पछतावा होता है। अगर हम समाज से तंबाकू को खत्म करते हैं, तो हम 50 प्रतिशत कैंसर और 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर को रोक सकेंगे। इनका मुख्य कारण तंबाकू है। पुलिस जैसी कानून लागू करने वाली संस्थाएं कोटपा के प्रभावी कार्यान्वयन कर हमारी युवा पीढ़ी को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। कार्यक्रम में उपिस्थत सभी पुलिस अधिकारियों ने कोटपा व कैंसर रोग के बारे में सवाल भी पूछे।
महाराष्ट्र में 529 बच्चे प्रतिदिन शुरु करते है तंबाकू सेवन-
प्रशिक्षण कार्यक्रम में तंबाकू जनित बीमारियों के कारण परिवारों की पीड़ा का वर्णन करते हुए टाटा ट्रस्ट के कैंसर प्रिवेंशन कार्यक्रम के हैड डॉ. पॉल सेबेस्टियन ने कहा, “मैं खुद एक कैंसर सर्जन हूं और मैंने तंबाकू के कारण परिवारों को नष्ट होते देखा है। महाराष्ट्र में 529 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू का उपयोग शुरू करते हैं। तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण हर साल 72,000 लोगों की मौत होती है जोकि बेहद चिंताजनक है। कोटपा के प्रभावी कार्यान्वयन से निश्चित रूप से तंबाकू के खतरे को कम करने में मदद करेगा।” इस महामारी को रोकने में सभी को सकरात्मक तरीके से पहल करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि कोटपा में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान, तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन और प्रचार, नाबालिगों को इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से तंबाकू के खतरे को कम करने में मदद मिलेगा।
कोटपा की सबसे खास बात यह है कि पुलिस द्वारा इसके लागू करने से स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की उपलब्धता, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान और नाबालिगों को इसकी बिक्री को कम करेगा। इससे तंबाकू के प्रसार में कमी आएगी। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) 2016-17 के अनुसार महाराष्ट्र में 2.4 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन व उपयोग करते हैं और अनुमान है कि इसमें प्रति वर्ष 72000 लोगों की तम्बाकू जनित बीमारियों के कारण मौत हो जाती है। महाराष्ट्र में 26.6 प्रतिशत लोग (15़ आयु वर्ग के) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से 17 लाख (1.9 प्रतिशत) सिगरेट और 17 लाख (1.9 प्रतिशत) धूम्रपान बीड़ी है। राज्य में 24.4 प्रतिशत (2.2 करोड़) लोग धुआं रहित तंबाकू का सेवन या उपयोग करते हैं। सबसे खतरनाक और चैंकाने वाली बात तो यह है कि राज्य में प्रतिदिन 530 बच्चे तंबाकू सेवन की शुरुआत करते हैं।
इस प्रशिक्षण में जिले के 35 पुलिसथानों के अधिकारियों, जवानों, संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट मैनेजर देवीदास शिंदे, टाटा ट्रस्ट के आशीष सुपासे, सुमित पांडे ने भाग लिया।