कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) सहित तमाम पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं। प्रदेश की आधी से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है, पर पुराने मैसूर क्षेत्र की कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। इस क्षेत्र की 60 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जेडीएस की स्थिति मजबूत है।
प्रदेश चुनाव में रणनीति के लिहाज से पुराने मैसूर क्षेत्र बहुत अहम माना जाता। यह जेडीएस का पारंपरिक गढ़ है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि जिस किसी भी पार्टी ने इस वोक्कालिगा बहुल क्षेत्र में विजय हासिल कर ली, उसके लिए जीत की दहलीज तक पहुंचना आसान हो जाता है। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों पूरी ताकत झोंक रही है।
वोक्कालिगा समुदाय या पुराने मैसूर में जेडीएस की पकड़ कमजोर पड़ने की वजह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार हैं। वह भी वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपनी पकड़ मजबूत की है। वहीं, भाजपा ने मुस्लिम आरक्षण खत्म कर दो फीसदी वोक्कालिगा समुदाय को दिया।
पुराने मैसूर क्षेत्र में करीब 60 सीटें हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में जेडीएस ने 23, कांग्रेस ने 16 और भाजपा ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के संस्थापक एचडी देवगौडा वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, इसलिए इस समुदाय को पार्टी का कोर वोट माना जाता है। हालांकि धीरे-धीरे इस क्षेत्र में जेडीएस का दबदबा कम हुआ है।