भदोही/प्रयागराज। आज आसमान मे चमकते सूरज (Sun) को एक सतरंगी चमकीले छल्ले ने कैद कर लिया।जिसने भी ये नजारा देखा हैरान रह गया। कुछ ने फोटो खींचे और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिये।देखते ही देखते फोटो वायरल हो गए और चर्चा का विषय बन गए।सोशल मीडिया पर लोग तरह तरह के कमेन्ट करने लगे।
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आखिर है क्या ये सतरंगी छल्ला- सूर्य के चारों ओर बनने वाले इस सतरंगी वलय को सन हालो (सूर्य प्रभा मंडल) कहा जाता है।
कब एवं कैसे बनता है ये वलय- आमतौर पर बारिश के दौरान वातावरण में मौजूद पानी की बूंदों से इंद्रधनुष बनने की घटना होती है।यह सूर्य की किरणों के पानी की बूंदों में पड़ने के बाद उसके विकिरण की वजह से होती है।
ठीक इसी तरह पृथ्वी से लगभग 5 से 6 किमी दूर वातावरण में कई बार बारिश के मौसम में आइस क्रिस्टल बनते हैं, जो हैक्सागोनल (षट कोणीय) आकार में होते हैं।
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सूर्य की किरणें क्रिस्टल पर पड़ने के बाद दोनों में 22 डिग्री का अंतर आ जाता है और जब इसे धरती से देखा जाता है तो रेनबो की ही तरह सूर्य के चारों ओर रिंग सा नजर आता है। कई बार इसमें 46 डिग्री का भी अंतर आता है, जिससे अलग तरह का इंद्रधनुष बनता है।
हालो या वलय प्रकाश द्वारा उत्पन्न ऑप्टिकल (प्रकाशीय) घटना का एक नाम है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये एक आम प्रक्रिया है। यह तब होता है, जब सूरज धरती से 22 डिग्री के कोण पर पहुंचता है तो प्रकाश की किरणों के ऊपरी स्तर के सिरस क्लाउड (पक्षाभ मेघ) मे उपस्थित बर्फ के क्रिस्टलों से होकर गुजरने पर प्रकाश का प्रकीर्णन होने के कारण प्रभामंडल मे इंद्रधनुषी रंग दिखाई देते हैं।इन क्रिस्टलों मे प्रकाश का प्रकीर्णन एवं अपवर्तन होता है तथा एक गोलाकार इंद्रधनुष वलय का आभास होता है।
सूर्य के साथ साथ चंद्रमा का भी बनता है वलय- चंद्रमा के वलय को लूनर हालो या चंद्र प्रभामंडल कहा जाता है। ये वलय अधिकांशतः रंगहीन होते है क्योंकि चंद्रमा का प्रकाश (चांदनी) बहुत ज्यादा चमकदार नही होती है।
रिपोर्ट:अनुज प्रताप सिंह