संकटमोचक हनुमान की उपासना मानवीय जीवन के दु:ख, भय और चिंता को दूर करने के लिए अचूक मानी जाती है. श्रीहनुमान साधना की इस कड़ी में बजरंगबाण का जप और पाठ मंगलवार व शनिवार के दिन करने का महत्व है. इस दिन यथाशक्ति श्रीहनुमान की प्रसन्नता के लिए व्रत भी रख सकते हैं.
बजरंगबाण पाठ का संकटमोचक व मुरादें पूरी करने वाला खास तरीका –
– सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ भगवा या सिंदूरी वस्त्र पहनें. तब मंदिर या घर के ही देवालय में बजरंग बाण का जप किया जा सकता है. इसके लिए तन के साथ मन की पवित्रता और शांत स्थान का जरूर ध्यान रखें.
– श्री हनुमान की मूर्ति या तस्वीर के सामने कुश के आसन पर बैठें.
– बजरंग बाण के जप प्रयोग की शुरुआत पवित्रीकरण और संकल्प के साथ करें.
– संकल्प में मात्र बजरंग बाण के जप का ही न हो, बल्कि इसके साथ यह भी संकल्प करें कि मनोरथ पूर्ति और कष्ट शमन होने पर श्रीहनुमान की तन, मन, धन से यथाशक्ति सेवा करेंगे.
– शास्त्रों में हनुमान साधना में दीपदान का बहुत महत्व बताया गया है. अत: पंचधानों यानी गेंहू, चावल, मूंग, उड़द और काले तिल के मिश्रित आटे में गंगाजल मिलाकर एक दीपक बनाएं.
– इस दीपक में सुगंधित तेल भरें और उसमें एक कच्चे सूत की मोटी बत्ती जो सिंदूरी रंग में रंगी हो, को जलाएं. बजरंग बाण के पाठ और अनुष्ठान पूर्ण होने तक यह दीपक प्रज्जवलित रखें.
– श्रीहनुमान को गुग्गल की धूप में लगाएं.
– इसके बाद श्रीराम और श्रीहनुमान का ध्यान कर श्रीहनुमान की मूर्ति पर ध्यान लगाकर स्थिर मन से बजरंग बाण का जाप शुरू करें. जाप करते समय अशुद्ध उच्चारण से बचें.
– पूरे बजरंग बाण का पाठ की एक माला जप करें. एक माला संभव न होने पर 11, 21, 51 इसी तरह की संख्या में जप भी कर सकते हैं.
– जप पूरे होने पर गुग्गल धूप, दीप, नैवेद्य अर्पण करें. नैवेद्य में खासतौर से गुड़, चने या गुड़ और आटे का मीठा चूरमा, लाल अनार या मौसमी फलों का भोग लगाएं.
– बजरंग बाण का ऐसा पाठ तन, मन और धन से जुड़े सभी कलह और संताप दूर कर हर इच्छा पूरी कर देता है.