बनारस में चारा घोटाले का मामला सामने आया है। यहां हजारों छुट्टा गायों को लोगों को पालने के लिए दिया गया था। इन गायों के मालिकों को सरकार की तरफ से 900 रुपए हर महीने चारा के लिए दिया जाता रहा।
जब इन गायों का सत्यापन कराया गया तो पता चला कि 132 गायें गायब हैं। कुछ गायों की मौत हो चुकी है तो कुछ गायें विभाग को लौटाईं जा चुकी हैं। कुछ लोगों ने तो गायें मिलने की बात से ही इनकार कर दिया। इसके बाद भी चारा के नाम पर भुगतान होता रहा। केवल 132 गायों के नाम पर ही हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा का गोलमाल होता रहा। अब जांच हो रही है कि यह गायें कहां गईं और इनके चारा के नाम पर जो भुगतान हो रहा था, वह कौन ले रहा था।
पशुपालन विभाग ने सीडीओ के पास एक सूची भेजी जिसमें एक साल के अंदर 1233 लोगों को देखभाल के लिए 2383 गोवंश देने का दावा किया गया था। सीडीओ ने उस सूची में दिए गए नाम-पते पर भौतिक सत्यापन कराया। पशुपालक बताए गए 28 लोगों ने गाय मिलने से ही इनकार कर दिया। 25 लोगों ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन बाद ही पशु लौटा दिए थे जबकि 79 ने कहा कि उन्हें मिली गायों की मौत हो गई है।
मामला सीएम निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना का है। इन निराश्रित गायों के चारे के नाम पर फर्जी पेमेंट जारी किया जाता रहा। उन गायों का अस्तित्व पशुपालन विभाग की सूची में तो है मगर भौतिक सत्यापन में वे गायब मिलीं। विभाग से हर माह उनके नाम पर नौ-नौ सौ रुपये का भुगतान होता रहा। इस गड़बड़झाले की जानकारी सीडीओ हिमांशु नागपाल की जांच में मिली।