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टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले हर शख्स को टीपीटी

• जनपद में अगले माह से शुरू हो जाएगी नई व्यवस्था

• अभी 5 वर्ष तक के बच्चों को ही दी जा रही थी टीपीटी

कानपुर नगर। टीबी यानि क्षय रोगी के संपर्क में आने वाले अब हर शख्स को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जाएगी। अभी तक यह थेरेपी रोगी के परिवार के पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ही दी जा रही थी। वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत इस पहल का उद्देश्य जनपद में टीबी के संक्रमण पर काबू पाना है। इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। शीघ्र ही सीएचओ के प्रशिक्षण शुरू भी हो जाएंगे।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया कि पल्मोनरी टीबी में फेफड़े संक्रमित होते हैं। इसकी फैलने की आशंका रहती है। पल्मोनरी टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोगों को टीपीटी दी जाएगी। इसके तहत क्षय रोग के परिवार के लोगों को छह माह तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवाएं आयु और वजन के हिसाब से दी जाएंगी। अभी तक यह थेरेपी सिर्फ पांच साल से नीचे वाले बच्चों को ही दी जा रही थी, लेकिन अब इसमें सभी आयुवर्ग के लोगों को शामिल किया गया है।

टीबी

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एपी मिश्रा ने बताया कि टीपीटी उन लोगों को दी जाएगी जिनके परिवार के किसी भी सदस्य को सीबी नॉट, ट्रूनेट और माइक्रोस्कोपी की जांच में टीबी की पुष्टि हुई है। ऐसे लोगों के कुछ टेस्ट भी किए जाएंगे। जिनमें यह देखा जाएगा कि इनमें टीबी के लक्षण हैं अथवा नहीं है। लक्षण नहीं होने की स्थिति में भी टीपीटी चलेगी।

जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि एक अनुमान के तौर पर भारत की कुल आबादी में 40 प्रतिशत लोगों के अंदर टीबी का बैक्टेरिया मौजूद है जो कुपोषण, बीमारियां और अन्य कारणों सेबहुत तेजी से शरीर में बढ़ता है जिससे शरीर में मौजूद टीबी का इन्फेक्शन क्षयरोग में परिवर्तित हो जाता है। यह बैक्टेरिया न बढे और लोग क्षयरोग का शिकार न हो इसके लिये टीबी थेरेपी कारगार है।

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इस थेरेपी का उद्देश्य टीबी के संक्रमण को कम करना है जिससे टीबी का इन्फेक्शन क्षयरोग में परिवर्तित होने से पहले ही समाप्त हो जाये। उन्होंने बताया की जिन मरीजों के बलगम में टीबी की पुष्टि होती है उन मरीजों के संपर्क में रहने वाले भी धीरे-धीरे इस रोग की गिरफ्त में आ जाते हैं। इस थेरेपी को लेने वालों में टीबी की संभावना नहीं रहेगी। उनका कहना है की जैसे परिवार नियोजन के लिये हम तमाम साधन अपनाते हैं वैसे ही क्षयरोग से बचाव के लिए हमे टीपीटी अपनाना है।

टीबी

उन्होंने बताया कि वह स्वयं ही आगरा में दो दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करके आये हैं और इसके लिए अगले माह से सभी एमओआईसी और राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

टीपीटी डोज

• दस साल से नीचे के बच्चों को प्रतिदिन छह माह तक 10 एमजी प्रति किलोग्राम (बॉडी वेट) के हिसाब से दवा का सेवन करना होगा।
• दस साल से ऊपर के व्यक्ति को प्रतिदिन छह माह तक 5 एमजी प्रति किलोग्राम की दर से दवा का सेवन करना होगा।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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