बालासोर रेल हादसे में 290 से ज्यादा लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? इसका पता चल गया है। कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी CRS ने अपनी रिपोर्ट में सिग्नल और टेलीकम्युनिकेशन (S&T) विभाग में कई स्तरों पर हुई चूक के चलते रेल हादसा हुआ था। आयोग ने रेल मंत्रालय को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। 2 जून को हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस में हादसे में 900 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दो खराब मरम्मत कार्यों (साल 2018 में और हादसे के कुछ घंटों पहले) के कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस अन्य ट्रेक पर मौजूद मालगाड़ी से टकरा गई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसी तरह की घटना खड़गपुर रेलवे डिवीजन के तहत आने वाले बंगाल के एक स्टेशन पर 16 मई 2022 में हुई थी। उस दौरान गलत वायरिंग के चलते ट्रेन अलग ही रास्ते पर चली गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, गलत सिग्नल मिलने के कारण ट्रेन मालगाड़ी वाले ट्रेक पर पहुंच गई थी और 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टकरा गई। नतीजा हुई कि ट्रेन का अधिकांश हिस्सा पटरी से उतर गया और कुछ बोगियां बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से भी टकरा गईं। 2018 में हुए मरम्मत के खराब कामों में केबल में आईं समस्याएं भी शामिल हैं, जिन्हें तब तो सुधार दिया गया था, लेकिन सर्किट बोर्ड पर उन्हें मार्क नहीं किया गया। जिसके चलते 2 जून को उसी पैनल पर काम कर रहे स्टाफ को उसकी जानकारी नहीं लग सकी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकल सिग्नलिंग सिस्टम में बार-बार आ रही परेशानियों पर ध्यान दिया जाता, तो 2 जून को हुई घटना को रोका जा सकता था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नलिंग सर्किट अल्टरेशन के काम में पहले हुई खामियों के चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ था। खास बात है कि रिपोर्ट में दर्ज जानकारियां सीबीआई की जांच में शामिल होंगी। हालांकि, एक तथ्य यह भी है कि रेल मंत्रालय इस रिपोर्ट को खारिज या स्वीकार भी कर सकता है।