डलमऊ/रायबरेली। ऐतिहासिक धार्मिक डलमऊ नगरी मे लगने वाले विशाल Kartik purnima कार्तिक पूर्णिमा मेले की तैयारियों को लेकर डलमऊ प्रशासन सुस्त दिखाई दे रहा है। कार्तिक पूजा मेले से पूर्व 1 नवंबर से पशु मेला प्रारंभ होने वाला है लेकिन तैयारियों को लेकर डलमऊ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी के कानों में अभी तक जूं तक नहीं रेंग रही है।
Kartik purnima पर होती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़
डलमऊ ऐतिहासिक नगरी में 20 नवंबर से लगने वाले विशाल कार्तिक पूर्णिमा मेले में लगभग 10 से 15 लाख श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं । श्रद्धालुओं के साथ कोई अनहोनी ना हो इसलिए चप्पे-चप्पे पर प्रशासन की नजर बनी रहती है। कार्तिक पूर्णिमा मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालु कस्बे के 16 स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। विभिन्न स्नान घाटों पर पहुंचकर श्रद्धालु गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। लेकिन नगर पंचायत की तरफ से इस वर्ष कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। तैयारियों के नाम पर महज खानापूर्ति ही हो रही है।
एक घाटों से दूसरे घाटों तक जाने के लिए बना संपर्क मार्ग पानी के बहाव में बहकर नाले का रूप धारण कर चुका है। गंगा घाटों के पास स्थित भूमि पर जंगली बबूल घास उगी हुई है। अभी तक उसकी साफ सफाई का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। 1 नवंबर से लगने वाला पशु मेले का मैदान जंगल में तब्दील है, जिस की साफ सफाई में करीब 10 से 15 दिन लग सकते हैं लेकिन अभी तक इन तैयारियों को लेकर नगर पंचायत की तरफ से श्री गणेश भी नहीं हुआ है।
पुल बनाने में हुई मनमानी
ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेले से पूर्व डलमऊ कस्बे के सड़क,घाट एवं रानी जी का शिवाला घाट के मध्य स्थित नाले पर प्रत्येक वर्ष लोक निर्माण विभाग की तरफ से अस्थाई पुल का निर्माण कराया जाता है लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस बार अपने काम में कुछ ज्यादा ही तेजी दिखा डाली है। 2 घाटों को जोड़ने वाले मार्ग पर लोक निर्माण विभाग द्वारा खानापूर्ति करते हुए अस्थाई पुल का निर्माण कराया गया जो मौत को दावत दे रहा है।
आपको बता दें कि विभागीय अधिकारियों द्वारा मनमानी तरीके से उक्त दो घाटों के मध्य नाले पर बने पुल पर दीमक खा चुके लकड़ी के पटरों का प्रयोग किया गया है, यही नहीं इसमें करीब एक कुंतल की लोहे की सिलावट की अनेक पटरिया डाली जाएंगी, जिसका भार सहने के लिए पुल असमर्थ साबित हो रहा है। इसी पुल से होकर 22 नवंबर को जिलाधिकारी अपने काफिले के साथ कार्तिक मेले का शुभारंभ करेंगे और पतित पावनी मां गंगा की विशाल आरती में शामिल होंगे।
पुल की स्थिति को देखकर लगता है की अधिकारियों के साथ आने वाले भारी वाहनों का भार रहने के लिए पुल पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुका है। मनमानी तरीके से विभागीय अधिकारियों द्वारा बनवाए गए अस्थाई पुल को लेकर स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का मानना है कि जर्जर पुल में अधिकारियों काफिला कैसे निकलेगा। यही नहीं कार्तिक पूर्णिमा मेले में लाखों श्रद्धालु इस पुल का सहारा लेकर एक घाट से दूसरे घाट के लिए जाएंगे। ऐसे ही स्थिति में उनका भार यह पुल कैसे उठा सकता है जो पहले से ही अपनी बेबसी पर रो रहा है।
रत्नेश मिश्रा/मोहित कुमार