बिहार शिक्षक भर्ती में राज्य के बाहर के लोगों को भी आवेदन की छूट दिया जाना बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मसले पर भाजपा नीतीश कुमार सरकार को जमकर घेर रही है। इस मसले पर आरजेडी भी सहज नहीं है, लेकिन वह कुछ भा बोलने से परहेज कर रही है।
वहीं आरजेडी खुद तेजस्वी यादव को लेकर घिरी है, जिनका नाम लैंड फॉर जॉब स्कैम केस में सीबीआई की चार्जशीट में आ गया है। इस पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू चुप्पी साधे हुए है। इस तरह गठबंधन सरकार के दो बड़े दल एक-एक मुद्दे पर घिरे हैं और एक-दूसरे से असहमत होते हुए भी चुप हैं।
वहीं भाजपा दोनों मुद्दों को भुनाते हुए सक्रिय हो गए है और अब विधानसभा से सड़क तक आंदोलन मोड में आ गई है। दो दिन से सदन में हंगामा करने के बाद गुरुवार को भाजपा के कार्यकर्ता पटना की सड़कों पर उतरे थे। इसी दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। भाजपा का आरोप है कि इस कार्रवाई के दौरान ही उसके नेता विजय कुमार सिंह की मौत हो गई।
माना जा रहा है कि आंदोलन के दौरान हुई इस मौत के बाद भाजपा और आक्रामक रुख अख्तियार कर सकती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी खासे आक्रामक हैं, जो सीएम नीतीश कुमार की ही बिरादरी के हैं। कहा जात है कि उन्हें भाजपा ने इसीलिए प्रमोट किया है ताकि गैर-यादव ओबीसी वर्ग की मजबूत बिरादरी कुर्मी को साधा जा सके। एक तरफ सामाजिक समीकरण और दूसरी तरफ भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर परसेप्शन की लड़ाई में भाजपा बढ़त बनाती दिख रही है।
भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि 2024 की चुनावी लड़ाई में अब सड़क पर उतरना बाकी है। चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं को साधकर भाजपा ने एक सामाजिक गुलदस्ता तैयार कर लिया है, लेकिन अब जमीन पर हवा बनाना चाहती है। इसीलिए तेजस्वी यादव का चार्जशीट में नाम आने के बहाने वह सड़क की सियासत पर खुद को मजबूत कर रही है। गुरुवार को जिस तरह से भाजपा के आंदोलन पर ऐक्शन हुआ और फिर विजय कुमार की मौत हो गई। उससे इसे और हवा मिल गई है।
विजय कुमार सिंह भाजपा की जहानाबाद इकाई के महामंत्री थे। इसके बाद से संग्राम और बढ़ने की आशंका है। शुक्रवार को विजय कुमार सिंह की जहानाबाद में जब शव यात्रा निकली तो बड़ा हुजूम था। भाजपा के हजारों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ ही जनता भी बड़ी संख्या में मौजूद रही।