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सामाजिक भ्रांतियां बनी हैं पुरुष नसबंदी में अवरोध : सीएमओ

• परिवार नियोजन अपनाना है, पुरुषों की भागीदारी को बढ़ाना है

• महिलाओं की अपेक्षा पुरुष नसबंदी ज्यादा आसान

• पुरुष नसबंदी से न तो शारीरिक कमजोरी होती है और न ही कामकाज में कोई दिक्कत

• पुरुष आगे आएं अपनी भागीदारी बढ़ाएं

औरैया। पितृसत्तात्मक समाज में यह बहुत ही प्रचलित कहावत है कि मर्द को दर्द नहीं होता। हर किसी साहस पूर्ण कार्य के लिए पुरुष सबसे पहले आगे आते हैं। यहां तक कि यदि वह आगे न आएं तो उन्हें कायर करार कर दिया जाता है। ऐसे में परिवार नियोजन जैसे अहम मुद्दे का भार सिर्फ महिला पर ही क्यों? परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने में जहां महिलाएं बढ़-चढ़ योगदान दे रही हैं, वहीं इसमें पुरुषों की भागीदारी न के बराबर है। जरूरत इस बात की है कि पुरुष भी आगे आकर इसमें भागीदारी निभाएं।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ सुनील कुमार वर्मा का कहना है कि पुरुष नसबंदी के कम होने के पीछे कई मिथक व भ्रांतियां हैं। जैसे पुरुषों के पुरुषार्थ अथवा यौन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और परिवार और सामुदाय में प्रतिष्ठा पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुरुष नसबंदी से न तो शारीरिक कमज़ोरी आती है और न ही पुरुषत्व का क्षय होता है। जब भी परिवार पूरा हो जाए, इसे अपना सकते हैं। उन्होंने बताया कि पुरुष के जननांग में कोई संक्रमण नहीं होता है। नसबंदी के आधे घंटे के बाद पुरुष घर जा सकता है। रोज के कामकाज पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पुरुष नसबंदी के बाद शरीर में कोई भी बदलाव नहीं होता है।

सामाजिक भ्रांतियां बनी हैं पुरुष नसबंदी में अवरोध : सीएमओ

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) के आंकड़े बताते हैं कि गर्भनिरोधक साधनों के प्रयोग की जिम्मेदारी का भार मुख्यतः महिलाओं पर ही होता है, फिर चाहे वह महिला नसबंदी की बात हो या अन्य कोई साधन। यदि कुल आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों की बात की जाए तो जनपद की 32.3% महिलाएं नसबंदी करवाती हैं जबकि पुरुषों की भागीदारी इसमें लगभग शून्य है, जबकि पुरुषों के लिए यह विकल्प महिलाओं के मुकाबले अधिक विश्वसनीय और आसान है।

महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी ज्यादा आसान और सुरक्षित

परिवार नियोजन के नोडल व एसीएमओ डॉ शिशिर पुरी का कहना है कि पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया महिलाओं की तुलना में ज्यादा आसान और सुरक्षित होती है। पुरुषों की नसबंदी बिना चीरा बिना टांके के बस आधे घंटे में हो जाती है। जनपदीय परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया कि यदि कोई पुरुष नसबंदी के लिये इच्छुक है तो वह जिला चिकित्सालय सहित जनपद के किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर इस सुविधा का लाभ उठा सकता है।

लाभार्थी एवं प्रेरक दोनों को प्रोत्साहन राशि: सरकार की ओर से मिलती है। लाभार्थी को 3000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 400 रुपए दिये जाते हैं। जबकि महिला लाभार्थी को 2000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिये जाते है। उन्होंने बताया कि जिले के प्रत्येक ब्लॉक में स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन साधनों से युक्त बॉक्स उपलब्ध हैं, जहां पूरी गोपनीयता के साथ कंडोम ले सकते हैं और किसी प्रकार की रोकटोक भी नहीं है।

परिवार पूरा होने पर अपना सकते है नसबंदी

वह सभी पुरुष नसबंदी करवा सकते हैं जो 60 वर्ष से कम उम्र के हों और जिनका कम से कम एक बच्चा हो।
नसबंदी परिवार नियोजन का स्थायी साधन हैं।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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