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मणिपुर में खून के प्यासे हैं मैतेई और कुकी समुदाय के लोग, जानिए पूरा मामला

णिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच ऐसी खाई बन गई है, जिसे पाटना बड़ी चुनौती बन गया है। दोनों समुदायों द्वारा अपनी सुरक्षा के नाम पर बनाए गए बंकर ऐसे काम कर रहे हैं मानो सीमा पर मौजूद सुरक्षा बलों के बंकर हों।

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मणिपुर में खून के प्यासे हैं मैतेई और कुकी समुदाय के लोग

इन बंकरों से एक दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं और गोली का जवाब गोली से दिया जा रहा है। घाटी और पहाड़ी के अलग-अलग इलाकों में कुकी और मैतेई समुदायों के सदस्यों द्वारा उन क्षेत्रों में बंकर स्थापित किए गए थे, जहां दोनों समुदायों की बस्तियां एक-दूसरे से सटी हुई हैं।

सुरक्षा बलों ने इन्हें नष्ट करने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन सुरक्षा बल से जुड़े सूत्रों का कहना है अभी बड़ी संख्या में बंकर मौजूद हैं। नए बंकर भी बना लिए गए। बंकर नष्ट होने के डर से सुरंगें भी बनाई जा रही हैं। सुरक्षा बलों द्वारा पहाड़ियों और घाटी क्षेत्रों में स्थापित बंकरों को हटाने की कवायद चल रही है।

कुकी समूहों का कहना है कि वे अपने गांवों की रक्षा के लिए बंकर संरचनाओं का उपयोग कर रहे हैं। ऐसा ही दावा मैतेई समुदाय का भी है। मैतेई कहते हैं कि कुकी पहाड़ी के ऊपर से स्वचालित हथियारों से उन पर हमला करते हैं, जिसका जवाब देना पड़ता है। मणिपुर में तैनात एक उच्च अधिकारी ने बताया कि मौका मिलते ही दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। शांति समिति जमीन पर अब तक काम नहीं कर पा रही है।

अधिकारियों का कहना है कि दोनों समुदायों में अविश्वास चरम पर है। कई स्तरों पर शांति की कोशिश चल रही है, लेकिन कोई भी दांव कारगर साबित नहीं हो रहा है। सुरक्षा बलों को पहाड़ी और घाटी दोनों क्षेत्रों में अवैध हथियार रखने वाले लोगों की जानकारी है, लेकिन वे पूरी सावधानी से अभियान चला रहे हैं। लूटे गए हथियार भी पूरी तरह वापस नहीं मिले हैं। एक अधिकारी ने कहा कि पिछले कई साल से कुकी गांव लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं, मैतई मानते हैं कि कुकी पहाड़ों पर कब्जा कर रहे हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि इस समय पूरे विवाद में नगा समुदाय तटस्थ है। उनको साधने के लिए पड़ोसी राज्य के नगा नेता भी काम कर रहे हैं। पड़ोसी राज्य नगालैंड के डिप्टी सीएम नगा नेता वाई पैटन ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई घटना की निंदा भी की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मणिपुर में भीड़ का राज नहीं कानून का राज होना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों में भी चिंता है कि इस तरह की घटनाओं का व्यापक असर हो सकता है।

सुरक्षा बल और पुलिस से सेवानिवृत्त हुए लोग अपने-अपने समुदाय के पक्ष में हथियारबंद ड्यूटी कर रहे हैं। वहीं, उग्रवादी गुट भी मौके का फायदा उठा रहे हैं। करीब दो दर्जन ऐसे गुटों की मौजूदगी बताई जा रही है।

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