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अविश्वास में अवसर

विपक्षी गठबंधन अपनी एकता प्रदर्शित करने को बेकरार था. इसके लिए उसने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लिया. उसका आकलन था कि इससे उसका नया नाम इंडिया भी चर्चित होगा. इस इंडिया एकजुटता दिखाई देगी. सरकार पर दबाब बनेगा. जनता में संदेश जाएगा. विपक्षी इंडिया का विकल्प के रूप में विकास होगा. लेकिन अविश्वास के इस अस्त्र का उल्टा असर हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपदा को अवसर बनाने में माहिर हैं. इसी तर्ज़ पर उन्होंने अविश्वास को भी सत्ता पक्ष के लिए अवसर बना दिया. कुछ दिन पहले सत्ता पक्ष ने सरकार के नौ वर्ष पूरे होने पर महा जनसम्पर्क अभियान चलाया था. इसके अंतर्गत नौ वर्ष की उपलब्धियां लोगों तक पहुंचाई गई थी.

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अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सरकार को लोकसभा में अपनी उपलब्धियों के उल्लेख का अवसर मिला. विपक्ष के समक्ष शांति के साथ इसको सुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. अविश्वास प्रस्ताव उसी ने दिया था. सत्ता पक्ष ने उनके सभी सवालों का जबाब दिया. नरेंद्र मोदी ने मॉनसून सत्र में पारित हुए लोक कल्याणकारी विधेयकों का उल्लेख किया. विपक्ष हंगामा करता रहा. विधेयकों पर विचार नहीं किया. विपक्ष ने जनता के साथ विश्वासघात किया है. इन्हें जनता की नहीं सत्ता की भूख है. इन्होंने जनता को निराश किया है. लोक कल्याण के विधेयकों का विपक्ष ने बहिष्कार किया. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर सभी आ गए.

मतलब साफ है इन्हें केवल राजनीति और सत्ता से मतलब है. देश नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है. देश का इस सरकार में विश्वास है. 2024 में जनता फिर एनडीए को पहले से अधिक समर्थन प्रदान करेगा. देश विकसित हो रहा है. संकल्पों को सिद्ध करने का प्रयास चल रहा है. तीस साल के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. सरकार ज़न आकांक्षा को पूरा कर रही है. यह घोटालों से रहित सरकार है. भारत की बिगड़ी हुई को सुधारा गया. संभाला गया. दुनिया में भारत का महत्व बढ़ा है. विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से जनता के विश्वास कम करने का प्रयास किया. लेकिन उनका मंसूबा पूरा नहीं होगा.

अविश्वास में अवसर

नौ साल में करीब चौदह करोड़ लोग गरीबी रेखा के उपर आए हैं. आईएमएफ ने कहा कि भारत में अति गरीबी का निवारण हुआ है. स्वच्छ भारत अभियान से चार लाख से अधिक लोगों का जीवन बचाना सम्भव हुआ. भारत की उपलब्धियों पर विपक्ष का अविश्वास है. विपक्ष जनता के विश्वास को देखने में असमर्थ है. सत्ता पक्ष ने अपनी उपलब्धियां गिना कर उनके समक्ष चुनौती भी पेश की. क्योंकि इसके जबाब में विपक्ष के पास कहने को कुछ नहीं था. विपक्ष के किसी भी नेता ने यूपीए के दस वर्षों का नाम नहीं लिया. मोदी सरकार उसके मुकाबले बहुत बड़ी लकीर खींच चुकी है. इसी प्रकार मणिपुर के मुद्दे पर भी विपक्ष का मंसूबा पूरा नहीं हुआ.

यूपीए सरकार के घोटाले गिनाये गए. अमित शाह ने कहा बारह लाख करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले हुए. बोफोर्स, टूजी, सत्यम, कॉमन वेल्थ, कोयला, टाट्रा ट्रक, नोट के बदले वोट घोटाला, आदर्श घोटाला, नेशनल हेराल्ड, वाड्रा का डीएलएफ, चारा घोटाला, खाद्य सुरक्षा बिल का घोटाला, गाजियाबाद प्रोविडेंट फंड घोटाला, हर्षद मेहता शेयर बाजार घोटाला, हसन अली का हवाला घोटाला, आईपीएल, एलाईसी हाउंसिंग, मधु कोड़ा, सबमरीन घोटाला आदि यूपीए ने किया. इसलिए नाम बदलना पड़ा.

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यूपीए सरकार तेल उत्पादक देशों व कम्पनियों का कई लाख करोड़ रुपये का कर्ज छोड़ गई थी. इसकी भरपाई भी वर्तमान सरकार को करनी पड़ रही है. इन नौ वर्षों में अनेक संवेदनशील समस्याओं का समाधान हुआ. यह सभी नरेंद्र मोदी सरकार के कारण ही संभव हुआ. अनुच्छेद-370 और 35ए का विरोध करना भी साम्प्रदायिकता माना जाता था. सेक्युलर दिखने के लिए इन अलगाववादी प्रावधानों का समर्थन जरूरी था. इसके हटने पर गम्भीर परिणाम की चेतावनी तक दी गई. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने इसको हटा कर ही दम लिया. देश में आजादी के सात दशक बाद एक विधान एक निशान लागू हुआ.

सरकार का प्रत्येक निर्णय लोक कल्याण व राष्ट्रीय हित के अनुरूप है. प्रधानमंत्री मोदी ने दशकों से लंबित फैसलों को लागू किया. कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. मगर भारत की अर्थव्यवस्था अब भी विकास की राह पर है.बीस लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के सहारे भारत की विकास यात्रा को नई गति मिली है तथा देश आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ा है. आजादी के बाद सात दशकों में देश के केवल साढ़े तीन करोड़ ग्रामीण घरों में ही पानी के कनेक्शन थे. लेकिन नरेंद्र मोदी के शासन में साढ़े चार करोड़ घरों को साफ पानी कनेक्शन दिए गए हैं. दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान लागू की गई. इसके दायरे में पचास करोड़ लोग हैं. नौ सालों में भारत ने डिजिटल लेनदेन में दुनिया को नई दिशा दिखाने का काम किया है. रिकॉर्ड सैटेलाइट प्रक्षेपित किये जा रहे हैं. रिकॉर्ड सड़कें बनाई जा हैं. दशकों से लंबित अनेक योजनाएं पूरी की गई हैं. अनेक पुराने विवाद भी पूरी शांति और सौहार्द से सुलझाए गए हैं.

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कोरोना काल में अस्सी करोड़ लोगों को निशुल्क राशन की व्यवस्था की गई. जन औषधि दवा केन्द्र की संख्या अस्सी से बढ़कर पांच हजार हो गई. करीब सवा सौ नये मेडिकल कालेज खुले हैं. यूपीए के दस वर्ष में भारतीय रेल ने मात्र चार सौ तेरह रेल रोड ब्रिज और अंडर ब्रिज का निर्माण किया. मोदी सरकार ने इससे तीन गुना अधिक निर्मांण किया. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के पन्द्रह करोड़ से ज्यादा लाभार्थी हैं. यह दुनिया की सबसे सस्ती योजना है. बिजली उत्पादन में चालीस प्रतिशत वृद्धि हुई. सोलर ऊर्जा में आठ गुना वृद्धि हुई। फसल बीमा योजना का लाभ पहले पचास प्रतिशत नुकसान पर मिलता था. अब किसान को तैतीस प्रतिशत पर भी मिल जाता है. सरकार ने यूरिया को नीम कोटेड किया जिससे इसकी कालाबाजारी खत्म हुई. देश मे अब यूरिया की कोई कमी नहीं होती.

पिछली सरकारों के समय बावन सेटेलाईट लॉन्च किये गए थे. मोदी सरकार अब तक देशी-विदेशी करीब तीन सौ सेटेलाईट लॉन्च कर चुकी है. यूपीए के समय ग्रामीण सड़क से जुड़ी बस्तियां पचपन प्रतिशत थीं. अब करीब पंचानबे प्रतिशत हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने चालीस करोड़ लोगों के जनधन खाते खुलवाए. पहले ये लोग बैंकिंग सेवा से वंचित थे. आयुष्मान, उज्ज्वला और निर्धन आवास योजनाएं संचालित की गई. देश खुले में शौच से मुक्त हो गया. राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि सरकारी योजनाओं के एक रुपये में से केवल पन्द्रह पैसा ही गरीबों तक पहुंचता है. समाधान नरेंद्र मोदी ने किया है.

आज सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ सीधे लोगों के खातों में पहुंच रहा है. इस तरह के अनेक बदलावों की कहानी नरेंद्र मोदी के नौ सालों के कार्यकाल में लिखी गई है. यूपीए के समय बिजली आएगी, अभी आ गई, गैस कनेक्शन मिलेगा, अभी मिल गया, वाटर कनेक्शन मिलेगा, अभी मिल गया. पीएम आवास बनेगा, अभी पीएम आवास बन गया. टॉयलेट बनेगा नहीं अब टॉयलेट बन गया. गांव में सड़क बनेगी, गांव में सड़क बन गई. हाइवे बनेगा, अब बन गया. पुल बनेगा कहते थे अब बन गया. एयरपोर्ट बनेगा कहते थे अब बन गया, बैंक अकाउंट खुलेगा कहते थे, अब खुल गया. बीच-बीच में मोदी-मोदी के नारे गूंजे.

यूपीए कार्यकाल की तुलना में एग्रीकल्चर का बजट करीब पांच गुना बढ़कर 1 लाख 25 हजार करोड़ हो चुका है. नौ वर्ष पहले देश में 74 एयरपोर्ट थे, लेकिन अब ये आंकड़ा करीब डेढ़ सौ तक पहुंच गया है. देश में उस समय सिर्फ दो फूड पार्क थे, जो अब तेईस हो गए हैं. ग्लोबल रैंकिंग में 10 से 5वें नंबर पर पहुँचे. दुनिया में विकास दर तीन प्रतिशत पर पहुंच गई है. आज दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है और ब्रिटेन-जर्मनी जैसे देश भी चुनौतियों से जूझ रहे हैं. यूरोप भी आर्थिक संकट में है, लेकिन भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. साल 2014 में भारत ग्लोबल में दसवें पायदान पर था, लेकिन आज ये तेज रफ्तार के साथ 5वें नंबर पर आ गया है.

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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