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कटे होठों की हुई सर्जरी, नित्या और कशिश की लौटी मुस्कान

• आरबीएसके के तहत स्माइल ट्रेन संस्था के सहयोग से हुई सर्जरी

• कटे होंठ और तालू वाले बच्चों की पहचान कर किया जा रहा इलाज

कानपुर नगर। ब्लॉक बिल्हौर के गाँव रपुआबाग के रहने वाले राजेंद्र राजपूत की पत्नी रेनू राजपूत ने साढ़े छह माह पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया था, जिसका नाम नित्या राजपूत रखा गया। बच्ची बहुत सुंदर है, लेकिन कटे होंठ उसकी खूबसूरती में बड़ी बाधा बने हुए थे। बच्चे का इलाज कराकर उसकी खूबसूरती लौटाने की इच्छा माता-पिता के मन में थी। लेकिन गरीबी के चलते इलाज का खर्च उठा पाना संभव नहीं था। राजेंद्र निर्माणाधीन मकानों में मजदूरी कर अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के चिकित्सकों ने मासूम नित्या के परिवार वालों से संपर्क किया। 24 जून 2023 को नित्या को टीम द्वारा कानपुर ले जाया गया। जहां उसकी सर्जरी की गई।

कटे होठों की हुई सर्जरी, नित्या और कशिश की लौटी मुस्कान

ऐसे ही ब्लॉक चौबेपुर के गाँव राजारामपुर निवासी गणेश कश्यप फलों का ठेला लगाते हैं। वह अपनी पांच वर्षीय बेटी कशिश के कटे होंठ और तालू के कारण परेशान रहते थे। उन्हें अपनी बिटिया के भविष्य की चिंता सताती थी। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण ऑपरेशन में होने वाले खर्च के सम्बंध में वह चिंतित थे।

वह बताते हैं कि उन्होंने जब अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र में कशिश का दाखिला करवाया तब वहां की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रानी ने उन्हें आरबीएसके के बारे में बताया और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौबेपुर से संपर्क करवाया। फिर आरबीएसके टीम द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में निरीक्षण के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सक की पुष्टि के बाद कशिश के ऑपरेशन के लिए स्माइल ट्रेन संस्था रेफर किया गया। स्माइल ट्रेन संस्था द्वारा निःशुल्क इलाज कराते हुए कटे तालु का 12 जून 2023 को सफल ऑपरेशन किया गया। दो दिन अस्पताल में भर्ती रखने के पश्चात छुट्टी दे दी गई।

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सर्जरी के बाद बच्चों के चेहरे को देखकर उनके माता-पिता का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने बताया कि मानो बेटियों को एक तरह से नया चेहरा ही मिल गया है। दोनों बच्चों की सफल सर्जरी और मुस्कुराते चेहरे ने उनके माता-पिता का आत्मविश्वास जगा दिया हैं। अब बेटियां पूरी तरह स्वस्थ हैं और उनकी मुस्कुराहट से पूरे परिवार के चेहरे पर खुशी छाई है। नित्या और कशिश दोनों के ही परिजनों ने इस निःशुल्क ईलाज के लिए प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग को सहृदय धन्यवाद दिया है।

कटे होठों की हुई सर्जरी, नित्या और कशिश की लौटी मुस्कान

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन का कहना है कि कई बच्चों के होठ व तालू जन्मजात कटे होते हैं और पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चे की मुस्कान ही उसका आत्मविश्वास जगाती है। इसी आत्मविश्वास को वापस लाने में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम- स्माइल ट्रेन प्रोजेक्ट सार्थक भूमिका निभा रहे हैं। नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश बताते हैं कि कई बच्चों के होठ व तालू जन्मजात कटे होते हैं। यह गर्भवस्था के शुरुआती तीन महीनों में होती है। गर्भ में पहले होंठ बनते हैं फिर तालू और मुंह। इसी दौरान टिश्यू और सेल सही से नहीं बन पाने पर कटे होंठ या तालू की स्थिति पैदा होती है। जन्मजात कटे होंठ व तालू की समस्या लगभग तीन से पाँच हज़ार बच्चों में से एक को हो सकती है। यह होंठ के दोनों तरफ अथवा एक ही तरफ संभव है। सामान्यतः तालू के साथ होंठ भी कटा होता है परन्तु कभी-कभी अकेले तालू के कटे होने की सम्भावना भी रहती है।

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आरबीएसके के डीईआईसी प्रबंधक अजीत सिंह ने बताया की कटे होठ व तालू एक जन्मजात विकृति है| साथ ही बताया की आरबीएसके के तहत जन्मजात कटे होंठ और तालू वाले बच्चों की निशुल्क सर्जरी के लिए पंजीयन किया जाता है। फिर उच्च स्तरीय जांच कर अनुबंधित अस्पतालों में ऑपरेशन करवाया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जन्मजात कटे होंठ व तालू वाले बच्चों का निःशुल्क ऑपरेशन स्माइल ट्रेन संस्था के सहयोग से किया जा रहा है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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