भारत सरकार लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर के आयात के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता की समयसीमा को और एक साल तक बढ़ा सकती है। सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। एपल, सैमसंग और लेनोवो जैसी बड़ी कंपनियों के लिए बहुत राहत की बात होगी।
सरकार ने तीन अगस्त को अचानक बिना लाइसेंस इलेक्ट्रानिक उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका मकसद खराब गुणवत्ता वाले लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटरों के देश में आने से रोकना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना था। इससे बड़ी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
उद्योग जगत के विरोध के बाद सरकार ने इस योजना को लागू करने की समयसीमा तीन महीने बढ़ा दी थी। सूत्रों के मुताबिक, अब सरकार ने एक बार इसके क्रियान्वयन की समय सीमा को एक साल बढ़ा दी है। इसका मतलब है कि अगले साल सितंबर तक बिना लाइसेंस के लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर आयात किए जा सकेंगे।
जल्दी रिफंड चाहिए तो आयकर विभाग को दें बकाया की जानकारी
इधर, आयकर विभाग ने करदाताओं से कहा है कि अगर उनको जल्दी रिफंड चाहिए तो वे पहले के बकाये के संबंध में विभाग को जानकारी दें। सोशल मीडिया पर विभाग ने कहा, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिफंड को जल्दी पूरा करने के लिए उसके पहले के बकाये के संबंध में जी भी जानकारी मांगी जा रही है, उसे तुरंत देना चाहिए। कुछ करदाताओं को पहले के बकाये के संबंध में नोटिस मिला था। इस पर इन लोगों ने आयकर विभाग से सोशल मीडिया पर सवाल किया था। इसके जवाब में विभाग ने कहा, यह करदाताओं के लिए एक अच्छा उपाय है जहां उनको न्याय दिलाने के लिए एक अवसर दिया जा रहा है। ऐसे में उनको मदद करनी चाहिए।
पांच लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगी सेमीकंडक्टर की मांग
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आने वाले समय में सेमीकंडक्टर की मांग बढ़कर पांच लाख करोड़ रुपये होगी। यह अभी दो लाख करोड़ रुपये है। माइक्रोन के प्लांट से पहले चिप का उद्घाटन दिसंबर, 2024 से होगा। दो बड़े सेमीकंडक्टर प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। आने वाले कुछ महीनों में इन पर फैसला हो जाएगा। गुजरात के साणंद में माइक्रोन के सेमीकंडक्टर प्लांट के भूमिपूजन पर वैष्णव ने कहा कि परियोजनाएं एक विशेष क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जहां भारत वैश्विक स्तर पर चिप के क्षेत्र में एक अगुवा के रूप में उभर सकता है। वैश्विक सेमीकंडक्टर कंपनियां इस क्षेत्र में भारत की प्रगति और जटिल नीतिगत निर्णयों को क्रियान्वित करने की क्षमता को देख रही हैं। इसने भारत को एक प्रमुख विश्वसनीय देश के रूप में विकसित किया है।