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महिला उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के लिए ईरान की नर्गिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार

नोबेल कमेटी ने नर्गिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा है. उन्हें यह पुरस्कार ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए दिया गया है.

नर्गिस को 6 अक्टूबर को नोबेल प्राइज से नवाजा गया.मोहम्मदी को जिस वक्त यह पुरस्कार मिल रहा है, उस वक्त भी वो जेल में हैं.

कौन है नर्गिस मोहम्मदी?

नर्गिस मोहम्मदी एक ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (डीएचआरसी) की उपाध्यक्ष थीं. वह ईरान में डेथ पेनल्टी को खत्म करने और कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए वकील रही हैं.मोहम्मदी को अपने मानवाधिकार कार्यों के कारण कई बार जेल भी जाना पड़ा है.

कई पुरस्कारों से किया जा चुका है सम्मानित

नर्गिस मोहम्मदी कारावास के इस्तेमाल और ईरानी जेलों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ मुखर रही हैं. मोहम्मदी को उनकी सक्रियता के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है, जिसमें पेर एंगर पुरस्कार, ओलोफ पाल्मे पुरस्कार, यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार और पीईएन/बार्बी फ्रीडम टू राइट अवार्ड जैसे पुरस्कार शामिल हैं. उन्हें बीबीसी की 100 प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं में से एक के रूप में भी नामित किया गया था. कई चुनौतियों और जेल का सामना करने के बावजूद, मोहम्मदी ईरान में मानवाधिकारों और लोकतंत्र के लिए लड़ रही हैं.

मोहम्मदी 2003 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन इबादी के नेतृत्व वाले एक गैर-सरकारी संगठन, डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उप प्रमुख भी हैं. नोबेल पुरस्कार में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है. दिसंबर में पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 18 कैरेट का स्वर्ण पदक और डिप्लोमा भी मिलता है.

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