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सकरात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ें विद्यार्थी: राज्यपाल

• शिक्षा मानव जीवन का सर्वागीण करती है विकास: योगेन्द्र उपाध्याय

लखनऊ। राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस प्रेक्षागृह में 35वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। राज्यपाल ने माँ सरस्वती जी की प्रतिमा के समक्ष कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया।

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उन्होंने समारोह में विश्वविद्यालयों के विभिन्न भवनों का शिलान्यास एवं सामुदायिक रेडियो का उद्घाटन किया। दीक्षांत समारोह में प्राथमिक विद्यालय से प्रतिभाग कर रहे बच्चों को पठ्न-पाठन एवं पोषण सामग्री प्रदान की। दस आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुसज्जित एवं सुविधा सम्पन्न बनाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को आंगनबाडी किट का वितरण भी किया।

सकरात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ें विद्यार्थी: राज्यपाल

राज्यपाल ने सभी उपाधि प्राप्त कर्ताओं, विशेष योग्यताओं के लिए पदक प्राप्त करने वाले, विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. कहा कि बेटियाँ अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। आज कुल मेडल प्राप्त छात्र-छात्राओं में 70 प्रतिशत से अधिक मेडल बेटियों ने प्राप्त किए हैं जो बेटा और बेटी में भेदभाव करते हैं, यह उनके लिए साफ संदेश है। अभिभावकों को प्रेरित करते हुए कहा कि बेटा-बेटी के इस सामाजिक भेदभाव को त्यागें और बेटी की प्रगति में अपना सहयोग प्रदान करे।

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राज्यपाल ने जनपद मेरठ के विषय में चर्चा करते हुए कहा कि भारत के इतिहास में मेरठ का स्थान सिर्फ एक शहर का नहीं है, बल्कि मेरठ हमारी संस्कृति, हमारे सामर्थ्य का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। मेरठ प्रक्षेत्र ने रामायण महाभारत काल से लेकर जैन तीर्थंकरों, पंच प्यारों में से एक भाई धर्म सिंह ने अपने देश की आस्था को ऊर्जावान किया है। उन्होंने बताया कि मेरठ हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी की कर्मस्थली भी रहा है। उन्हीं के नाम पर सरकार द्वारा खेल विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है।

मेरठ खेल के सामान का बहुत बड़ा बाजार है तथा मेरठ को भारत का खेल शहर भी कहा जाता है। राज्यपाल ने बताया कि मेरठ के आर्थिक एवं सामजिक महत्व को देखते हुये सरकार द्वारा आर.आर.टी.एस. एवं एयर-वे विकसित किया जा रहा है, जिससे यहाँ के उत्पाद देश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ विदेशों में भी पहुँचेंगे। हम सभी का मूल उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अपने विश्वविद्यालयों को समकक्ष स्थान प्राप्त कराते हुये विश्व में भारत का गौरव बढ़ाना है। विश्वविद्यालय की रैंकिंग में सुधार होने से आज विदेशी विश्वविद्यालय हमारे विश्वविद्यालय के साथ एम.ओ.यू. साइन कर रहे हैं।

सकरात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ें विद्यार्थी: राज्यपाल

उपाधि प्राप्त छात्रों को संबोधित करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि बच्चों की प्रगति में अहम योगदान माँ का होता है। इसलिए सभी शिक्षणार्थी प्राप्त किये मेडल अपनी माँ को समर्पित करें। माँ के लिए किसी उल्लेख से प्राप्त गरिमा वर्णन का जिक्र करते हुये उन्होंने बताया कि माँ अलार्म है, माँ कुक है, माँ शिक्षक है, माँ रिसेप्शनिस्ट है, माँ नर्स है, माँ महारानी है। उन्होंने इसकी व्याख्या भी की और कहा कि जीवन में माँ के प्रति अपने दायित्व को कभी नहीं भूलना चाहिए।

उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य में कार्यक्षेत्र के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए प्रेरित किया और कहा कि अपने जीवन में सभी कार्यक्षेत्रों पर सकरात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ें। समय और कार्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के साथ-साथ हमे अपने राष्ट्र निर्माण के प्रति दायित्वों को नहीं भूलना चाहिए। किसी भी स्थिति में समाज एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित रहते हुए कार्य करें। व्यक्ति की आर्थिक प्रगति एवं शिक्षा के उद्देश्य को जोड़ते हुए उन्होंने समझाया कि आज विश्वभर में दानदाताओं में सबसे ऊपर रतन टाटा उद्योगपति का नाम आता है, यह हमारे सामने अच्छी शिक्षा एवं आर्थिक प्रगति का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

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मुख्य अतिथि पद्मश्री सचिव आयुष मंत्रालय भारत सरकार, वैध राजेश कोटेजा ने बच्चों से कहा कि दुनिया आपके योगदान, आपके नवाचार, आपके नेतृत्व की प्रतीक्षा कर रही है। साहसी बनो, दयालु बनो और अपने आपको सबसे अच्छा उदाहरण के रूप में पेश करो। विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा मानव जीवन का सर्वागीण विकास करती है, शिक्षा समाज के प्रति दायित्व का बोध कराती है तथा शिक्षा ऐसे मानव का निर्माण करती है जो समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखता हो। कुलपति प्रो संगीता शुक्ला ने राज्यपाल जी के समक्ष विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। दीक्षांत समारोह में स्थानीय अतिथिगण, जनप्रतिनिधि, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, अधिकारी एवं शिक्षक गण तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ एवं उनके अभिभावक भी उपस्थित थे

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