भारत के साथ-साथ दुनिया की रसोई में भी काली मिर्च (Black Pepper) का अहम रोल है. यह भोजन में स्वाद तो भरती ही है, साथ ही उसमें ऐसे गुणों का इजाफा कर देती है, जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी हैं. अगर आपको पेट से जुड़ी समस्या है तो काली मिर्च उसका निदान है. ऐसा भी माना जाता है कि यह भारतीय मसाला ब्लड प्रेशर और शुगर को भी कंट्रोल करने में सहायक है. खांसी-बलगम से दुखी हैं तो काली मिर्च हाजिर है. फूड विशेषज्ञ काली मिर्च को ‘मसालों का राजा’ मानते हैं.
काली मिर्च पर आयुर्वेद की सलाह
काली मिर्च हजारों वर्षों से भारत की रसोई की शान बढ़ा रही है. उसका कारण यह है कि प्राचीन आयुर्वेदाचार्य इसके शानदार गुणों को परख चुके थे. तभी तो करीब तीन हजार वर्ष पूर्व लिखे गए भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में काली मिर्च (मरीचम्) को वात-कफ को जीतने वाली, बल बढ़ाने वाली और भोजन के लिए स्वादु बताया गया है. ग्रंथ के अनुसार यह अग्निदीपक (पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली) भी है. आयुर्वेद आज भी इसके गुणों को विशिष्ट मानता है. भारतीय जड़ी-बूटियों. फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन के अनुसार काली मिर्च भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थ बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है.
गोल मिर्च दुनियाभर के खान-पान में इस्तेमाल
पूरी दुनिया में काली मिर्च को ‘मसालों का राजा’ या ‘रानी’ भी कहा जाता है. मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spcices And Condiments’ में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापरिक दृष्टि के चलते ही इसे ‘मसालों का राजा’ कहा जाता है. उसका कारण यह है कि पूरी दुनिया में यही एक मसाला है, जिसका कारोबार सबसे अधिक होता है. उन्होंने बताया कि दुनियाभर में भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसका हजारों वर्षों से उपयोग हो रहा है. कारोबारी फूड्स में तो इसका प्रयोग होता ही है, साथ ही पिसे मसालों व अचारी मसालों में काली मिर्च महत्वपूर्ण घटक है. पोल्ट्री ड्रेसिंग, सॉसेज, विभिन्न प्रकार के बर्गर और कई प्रकार की डिशेज में इसे जरूरी समझा जाता है. प्रुथी के अनुसार काली मिर्च का प्राचीन काल से ही विभिन्न शारीरिक रोगों से बचाव के लिए प्रयोग किया जा रहा है.
काली मिर्च के कुछ विशेष गुण इस प्रकार हैं
1. मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन व वैद्यराज दीनानाथ उपाध्याय के अनुसार काली मिर्च की बड़ी विशेषता है कि यह पेट के रसों और एंजाइमों का उत्तेजित कर देती है, जिससे पाचन सिस्टम दुरुस्त रहता है. शोध बताते हैं कि जठराग्नि (Gastritis Fire) को उद्दीप्त (Stimulates) करती है, भोजन को तोड़ देती है और उसे पचाने में सहायता करती है. काली मिर्च शरीर में विषहरण (Detoxify) का काम करती है. उसका कारण है कि इसके सेवन से मुंह में काफी मात्रा में लार पैदा होती है जो शरीर में जाकर विषाक्तता व अम्लता को बाहर निकाल देती है.
2. काली मिर्च में पिपेरिन ही मुख्य घटक है और शोध बताते हैं कि पिपेरिन रक्तचाप को कंट्रोल करने में सहायक है. ऐसा भी माना जाता है कि इस मसाले में व्याप्त लाभकारी एंटीऑक्सीडेंट रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को स्थिर करने में मदद कर सकते हैं. काली मिर्च में रक्त शर्करा के असंतुलन (Hyperglycemia) को नियंत्रित करने की भी क्षमता है, इसलिए आयुर्वेद में शुगर प्रभावित लोगों को इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है. आजकल प्रदूषण के चलते खांसी-बलगम की समस्या लगातार बढ़ रही है. पिसी काली मिर्च को शहद के साथ सेवन कर लें तो इससे राहत मिल सकती है.
3. अगर शरीर के वजन को कंट्रोल करना चाहते हैं, या वजन घटाना चाहते हैं तो अपने आहार में काली मिर्च का सेवन करें. असल में इसमें विटामिन ए, विटामिन बी6, विटामिन सी के अलावा सोडियम और पोटेशियम भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है और ये तत्व शरीर में बन रही वसा से लड़ते हैं और उसका निर्माण रोकने में भूमिका निभाते हैं. वजन इसलिए भी कम हो सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम रहती है.
4. काली मिर्च का स्वाद और गंध दूसरे मसालों से अलग है. यह गंध असल में जीवाणुरोधी (Anitbacterial) है, जो शरीर को जीवाणुओं के संक्रमण व सामान्य बीमारियों से दूर रखती है. ऐसा भी माना जाता है कि काली मिर्च का नियमित सेवन मस्तिष्क को शांत रखने में सहायक है, तभी तो कथित तौर पर भूत-प्रेत शांति व तंत्र-मंत्र में काली मिर्च का खूब प्रयोग होता है.