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बैंकों का एनपीए पिछले कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंचा, आरबीआई ने अर्थव्यवस्था पर कही यह बात

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेज गति से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत वित्तीय प्रणाली और वृहद आर्थिक पहलुओं से समर्थन मिल रहा है। आरबीआई ने कहा, बैंकों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और वे दबाव से निपटने में बेहतर तरीके से सक्षम है। हालांकि, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर जोखिम अब भी बना हुआ है, जो चिंता का विषय है। आरबीआई की बृहस्पतिवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है, बैंक गंभीर दबाव परिदृश्यों के तहत न्यूनतम पूंजी जरूरतों के अनुपालन में सक्षम होंगे। हालांकि, मार्च, 2023 की तुलना में एनबीएफसी क्षेत्र में कुछ कमजोरियां देखी गईं हैं। इन पर नजर रखने की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का बैंक क्षेत्र मजबूत है। इसका पता संपत्ति गुणवत्ता में सुधार, फंसे कर्ज के एवज में प्रावधान बढ़ने, पूंर्जी पर्याप्तता अनुपात बने रहने और लाभ बढ़ने से पता चलता है। कर्ज वृद्धि मजबूत बनी है। जमा वृद्धि में भी तेजी आई है। व्यक्तिगत कर्ज व उद्योग को ऋण के साथ एनबीएफसी की ओर से दिए जाने वाले कर्ज में तेजी आई है।

वित्तीय प्रणाली झटकों से निपटने में सक्षम
आरबीआई और अन्य नियामक वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के साथ एक ऐसी प्रणाली को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं, जो झटकों से निपटने में सक्षम हो। वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी की संभावनाओं को लेकर उभरते आशावाद के साथ भारत में खुदरा महंगाई कम हो रही है। हमारा प्रयास वित्तीय प्रणाली को मजबूत करना, जिम्मेदार नवोन्मेष और समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देना है। -शक्तिकांत दास, गवर्नर, आरबीआई

अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से वृद्धि के रास्ते पर
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद, मजबूत घरेलू मांग और सार्वजनिक नीतियों के स्तर पर सूझबूझ का नतीजा है। केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के समक्ष किसी भी जोखिम से निपटने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने को प्रतिबद्ध है। हालांकि, देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें धीमी वृद्धि, बड़े सरकारी कर्ज, आर्थिक बिखराव व कई देशों में संघर्ष चलते रहने की आशंकाएं शामिल हैं।

घरेलू वित्तीय बचत में गिरावट
सकल घरेलू वित्तीय बचत 2022-23 में 10.9 फीसदी रही है। 2021-22 में यह 11.1 फीसदी और 2020-21 में 15.4 फीसदी रही थी। वित्त वर्ष 2011-12 से 2019-20 के बीच औसत घरेलू वित्तीय बचत 11 फीसदी रही है। शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत 2022-23 में 5.1 फीसदी रही है, जो 2020-21 में 11.5 फीसदी रही थी। लंबे समय में इसका सालाना औसत 7 से 7.5 फीसदी रहा है।

घरेलू कर्ज घटा, डिफॉल्ट का जोखिम कम
मार्च, 2023 तक घरेलू कर्ज जीडीपी के अनुपात में 37.6 फीसदी रहा, जो मार्च, 2021 में 39 फीसदी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य उभरते देशों की तुलना में भारत में यह काफी कम है। साथ ही, फ्लोटिंग ब्याज दरों के कारण इसके डिफॉल्ट की आशंका भी कम है। इसका मतलब यह है कि प्रणालीगत चिंता की कोई बात नहीं है।

एफपीआई : 30.6 अरब डॉलर का निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल से लेकर 20 दिसंबर तक भारत में 30.6 अरब डॉलर का निवेश किया है। वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार 616 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।

केंद्रीय बैंक की प्राथमिकताएं

  • टिकाऊ और भरोसेमंद स्तर पर मूल्य स्थिरता हासिल करना।
  • मध्यम अवधि के दौरान कर्ज स्तर पर स्थिरता लाना।
  • वित्तीय क्षेत्र को मजबूत व विकास के नए अवसर पैदा करना।
  • नीतिगत स्तर पर समावेशी और हरित वृद्धि को बढ़ावा देना।
  • थोक जमा से घटेगा बैंकों का फायदा

आरबीआई ने कहा, थोक जमा पर निर्भर रहने से बैकों का मुनाफा घटेगा और आगे उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने कहा, थोक जमा पर बैंकों को ज्यादा ब्याज देना होता है। ऐसे जमा को ग्राहक लंबे समय तक के लिए फिक्स कर देते हैं। इससे ब्याज दरें घटने के बाद भी इन जमाओं पर अधिक ब्याज देना होता है। इससे बैंकों के शुद्ध मार्जिन पर दबाव पड़ता है, जिसका असर उनके फायदे पर दिखेगा।

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