पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले के पीछे कथित मास्टरमाइंड तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख हैं। ईडी के अधिकारी राशन वितरण घोटाले की जांच के तहत शेख के आवास पर छापेमारी कर रहे थे। तभी उनके समर्थक हिंसक हो गए। हमले में एजेंसी के तीन अधिकारी घायल हो गए और उनके वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
इस हमले की इंडिया गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस सहित राजनीतिक ने जमकर आलोचना की थी। लेकिन, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आरोपों से इनकार किया और ईडी के अधिकारियों पर स्थानीय लोगों को उकसाने का आरोप लगाया। भाजपा ने इसे संघीय ढांचे पर सीधा हमला करार दिया। जबकि, कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि राज्य सरकार कर्तव्य ‘बर्बरता’ को खत्म करना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पश्चिम बंगाल कोई ‘बनाना रिपब्लिक’ नहीं है। टीएमसी की संदेशखली इकाई के अध्यक्ष शाहजहां शेख का सियासी सफर तब आगे बढ़ा, जब उन्होंने पिछले साल जिला परिषद सीट हासिल की।
कौन हैं शाहजहां शेख?
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, शाहजहां शेख (42 वर्षीय) को ‘भाई’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बांग्लादेश सीमा के पास उत्तर 24 परगना के संदेशखली ब्लॉक में मत्स्य पालन में एक छोटे से श्रमिक के रूप में शुरुआत की थी। वह चार भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उन्होंने संदेशखली में मत्स्य पालन और ईंट भट्टों में एक श्रमिक के काम की शुरुआत की थी।
2004 में शेख ने ईंट भट्टों के यूनियन नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। बाद में वह अपनी राजनीतिक मौजूदगी बनाए रखते हुए स्थानीय माकपा इकाई में शामिल हो गए। जोशीले भाषणों और संगठनात्मक कौशल के लिए पहचाने जाने वाले शेख ने 2012 में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व का ध्यान अपनी ओर खींचा।
तब से सत्ता के गलियों में शेख का कद बढ़ा है। 2018 में शेख ने सरबेरिया अग्रहटी ग्राम पंचायत के उप प्रमुख के रूप में प्रसिद्धि हासिल की। शेख को उत्तर 24 परगना के लिए ‘मत्सा कर्माध्यक्ष’ (मत्स्य पालन के प्रभारी) के रूप में जाना जाता है, जिले के मत्स्य विकास की देखरेख करते हैं। जो राजनीतिक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में उनकी प्रभावशाली स्थिति को दिखाता है।