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गांधीजी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं?

आजादी की लड़ाई में प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक महात्मा गांधी भी रहे। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। कोई उन्हें बापू कहता है तो कोई देश का राष्ट्रपिता। दोनों का अर्थ एक ही है, उन्हें हर भारतीय के पिता के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने सही मार्ग पर चलकर आजादी की जंग लड़ी और भारतीयों का भी इस जंग में मार्गदर्शन किया।

साल में दो बार क्यों मनाते हैं शहीद दिवस, जानिए 30 जनवरी और 23 मार्च का इतिहास

गांधीजी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं?

आजादी मिलने के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। उस शाम प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी। इतिहास में 30 जनवरी का दिन गांधी जी की पुण्यतिथि के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया। हर साल 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्यतिथि के साथ ही शहीद दिवस भी मनाया जाता है। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन शहीद दिवस क्यों मनाते हैं? आइए जानते हैं 30 जनवरी बापू की पुण्यतिथि के अलावा इतिहास में क्यों खास दिन है।

30 जनवरी को शहीद दिवस

जिस दिन महात्मा गांधी का निधन हुआ था, उसे देशवासी शहीद दिवस के तौर पर मनाते हैं। बापू की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी को देश शहीद दिवस के रूप में मनाते हुए महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस मौके पर राजधानी दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी जी की समाधि पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री पहुंचते हैं। गांधी जी को स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस मौके पर देश के सशस्त्र बलों के शहीदों को सलामी दी जाती है और बापू की याद व शहीदों के लिए दो मिनट का मौन रखा जाता है।

साल में दो बार मनाया जाता है शहीद दिवस

भारत में शहीद दिवस दो बार मनाया जाता है। गांधी जी की पुण्यतिथि के मौके पर 30 जनवरी को शहीदों की याद में शहीद दिवस मनाते हैं। इसके अलावा 23 मार्च को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। दो अलग तारीखों को शहीद दिवस मनाने को लेकर लोग असमंजस में रहते हैं। दोनों शहीद दिवस में अंतर है। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी और 23 मार्च 1931 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। 23 मार्च को अमर शहीद दिवस मनाते हैं। इस दिन इन तीनों शहीदों की शहादत को याद किया जाता है।

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