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‘विकास के नाम पर लोगों की सुरक्षा से नहीं हो सकता समझौता’, हाईकोर्ट का अहम फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि विकास नियमों में राहत तब तक नहीं दी जा सकती, तब तक यह लोगों की सुरक्षा को प्रभावित न करे। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मुंबई की रिहायशी इमारत से सात मैकेनाइज्ड कार पार्किंग हटाने का आदेश दिया है। इन पार्किंग के खिलाफ रेजिडेंशियल बिल्डिंग के एक निवासी ने याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया।

क्या है मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल खाटा की पीठ ने माना कि मैकेनाइज्ड पार्किंग की वजह से बिल्डिंग में आग लगने की स्थिति में फायर टेंडर या एंबुलेंस के आने में परेशानी होगी। साथ ही इससे सोसाइटी में रहने वाले बच्चों, बुजुर्गों और सोसाइटी से गुजरने वाले लोगों की सुरक्षा भी प्रभावित होगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 18 जनवरी को यह आदेश दिया था, जो मंगलवार को उपलब्ध हुआ। मुंबई के बोरिवली में स्थित एक रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले राहुल जैन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका में राहुल जैन ने बिल्डर द्वारा सोसाइटी में सात मैकेनाइज्ड कार पार्किंग स्पेस बनाने के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि बिल्डर ने बिल्डिंग में दो अतिरिक्त फ्लोर बनाने का फैसला किया और इसके लिए ग्रेटर मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से जरूरी मंजूरी भी ले ली थी। दो अतिरिक्त फ्लोर बनाने की वजह से बिल्डर ने कार पार्किंग के लिए सात मैकेनाइज्ड कार पार्किंग स्पेस बना दिए थे। इसी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी।

हाईकोर्ट ने मंजूरी देने वाले चीफ फायर ऑफिसर को भी लगाई फटकार
हाईकोर्ट ने मंजूरी देने के लिए चीफ फायर ऑफिसर को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि विशेष मामलों में नगर पालिका कमिश्नर अतिरिक्त काम करने की मंजूरी दे सकते हैं, लेकिन इससे लोगों की सुरक्षा से समझौता नहीं होना चाहिए और अगर ऐसा हो रहा है तो मंजूरी को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

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