13 फरवरी तक चलेगा स्पर्श कुष्ठ जागरूकता पखवाड़ा
वर्तमान समय में जनपद के अंदर 89 कुष्ठ रोगियों का चल रहा इलाज़
औरैया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर मंगलवार को जनपद की समस्त चिकित्सा इकाइयों पर एंटी लेप्रोसी डे (विश्व कुष्ठ निवारण दिवस) मनाया गया। इस दिवस को मनाने के साथ ही स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की शुरुआत भी हुई। यह अभियान 13 फरवरी तक चलेगा। इसके लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग अपने-अपने स्तर से लोगों को जागरूक करेगा। स्वास्थ्य विभाग कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य टीम जनपदवासियों को कुष्ठ के बारे में जागरूक करेगी।
50 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय स्थित जिला कुष्ठ रोग कार्यालय में विश्व कुष्ठ निवारण दिवस पर सर्वप्रथम जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ अजय कुमार ने महात्मा गांधी की तस्वीर पर माल्यार्पण करके उनको याद किया एवं कुष्ठ रोग को ख़त्म करने की शपथ भी दिलाई । इसके साथ ही वहां उपस्थित समस्त कुष्ठ रोगियों को एमसीआर चप्पलों का वितरण भी किया गया। उन्होंने कहा कि यह रोग कोई कलंक नहीं है, बल्कि दीर्घकालीन संक्रामक रोग है, जो माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है। यदि कुष्ठ रोग की पहचान और उपचार शीघ्र न हो तो यह स्थाई विकलांगता का कारण बन जाता है।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि कुष्ठ रोग को लेकर आज भी समाज में तमाम तरह की भ्रांतियाँ हैं, जिसके कारण कुष्ठ रोगियों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने और कुष्ठ रोग के प्रति जनजागरूकता लाने के लिए 30 जनवरी को कुष्ठ निवारण दिवस मनाया जाता है। इन्हीं भ्रांतियों व भेदभाव के डर से लोग इस बीमारी को उजागर नहीं करते हैं। वैसे तो कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है परंतु समय रहते इसका पता चल जाने और इलाज शुरू कर देने से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विश्व कुष्ठ रोग निवारण दिवस पर 30 जनवरी से 13 फरवरी स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
जिला कुष्ठ रोग सलाहकार डा. विशाल अग्निहोत्री ने बताया कि वर्तमान में जनपद में 89 कुष्ठ रोगियों का इलाज़ चल रहा है। उन्होंने बताया की कुष्ठ निवारण दिवस के क्रम में जनपद की समस्त चिकित्सा इकाइयों पर कुल 49 एमसीआर चप्पलों का वितरण किया गया है। उन्होंने बताया कि 13 फरवरी तक चलने वाले अभियान का उद्देश्य कुष्ठ के लक्षण युक्त मरीजों को खोजकर व पुष्टि कराकर जल्द से जल्द उनको दवा खिलाने की शुरुआत करना है जिससे मरीज को विकलांगता से बचाया जा सके।
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क्या है कुष्ठ रोग – कुष्ठ एक दीर्घकालीन संक्रामक रोग है जो माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है। इसको हेनसन रोग के नाम से भी जाना जाता है जो मुख्यतः हाथों, पैरों की परिधीय तंत्रिका, त्वचा, नाक की म्यूकोसा और श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है। यदि कुष्ठ रोग की पहचान जल्द से जल्द न हो तथा उसका समय से उपचार न हो तो यह स्थायी विकलांगता पैदा कर सकता है।
कुष्ठ रोग के लक्षण –
– गहरी रंग की त्वचा के व्यक्ति के हल्के रंग के धब्बे और हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा पर गहरे अथवा लाल रंग के धब्बे
– त्वचा के दाग धब्बों में संवेदनहीनता (सुन्नपन)
– हाथ या पैरों में अस्थिरता या झुनझुनी
– हाथ, पैरों या पलकों में कमजोरी
– नसों में दर्द
– चेहरे, कान में सूजन या घाव
– हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव
कुष्ठ रोग दो तरह का होता है –
1. पॉसिबैसिलरी कुष्ठ रोग (पीबी)-
जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर लगभग एक से पांच घाव होते हैं और त्वचा के नमूनों में कोई बैक्टीरिया नहीं पाया जाता है। यह सबसे कम संक्रामक रूप है और इसे आगे ट्यूबरकुलॉइड (टीटी) और बॉर्डरलाइन ट्यूबरकुलॉइड (बीटी) में वर्गीकृत किया जाता है। यह छह से नौ माह के उपचार से ठीक हो जाता है।
2.मल्टीबैसिलरी कुष्ठ रोग (एमबी)
जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर पांच से अधिक घाव होते हैं और त्वचा के धब्बों या दोनों में बैक्टीरिया पाए जाते हैं। यह सबसे संक्रामक रूप है और इसे बॉर्डरलाइन (बीबी), बॉर्डरलाइन लेप्रोमेटस (बीएल) और लेप्रोमेटस (एलएल) में वर्गीकृत किया जाता है। इसमें नसें भी प्रभावित हो जाती हैं। इसका उपचार एक से डेढ़ साल चलता है।
रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर