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शिलांग में कांग्रेस के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, तुरा में तीन संगमाओं में जंग

पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय में लोकसभा की दो सीटें (शिलांग और तुरा) हैं। मेघालय की दोनों ही सीटें कांग्रेस की परंपरागत सीट रही हैं। तुरा सीट की बात करें तो चाहे कांग्रेस के समय में हो या फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस के गठन के बाद। यह सीट संगमा परिवार के पास ही रही। यहां से लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष पीए संगमा सांसद रहे हैं। अब इस सीट पर नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अगाथा संगमा सांसद हैं। इस बार मेघालय लोकसभा चुनाव की सबसे खासियत बात यह है कि एनपीपी ने दोनों ही जगह से महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। इन दोनों लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है।

मेघालय की दूसरी सीट है, शिलांग । यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। शिलॉन्ग सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1998 से कांग्रेस ने यहां पर कभी हार का सामना नहीं किया है। फिलहाल यहां से कांग्रेस के विंसेंट पाला सांसद हैं। ये दोनों ही सीटें आरक्षित हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार भाजपा ने मेघालय में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। भाजपा ने दोनों ही सीटों पर एनडीए गठबंधन के सहयोगी एनपीपी को दे दी है।

शिलांग से अम्पारीन लिंग्दोह देंगी पाला को चुनौती
शिलांग सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। यहां पर कांग्रेस का ही सांसद रहा है। 1998 से कांग्रेस इस सीट पर कभी हारी नहीं है। 2009, 2014 और 2019 से यहां से कांग्रेस के विंसेंट पाला सांसद हैं। पिछले तीन बार से लगातार शिलांग सीट से सांसद रहे विंसेंट पाला को चुनौती देने के लिए इस बार एनपीपी ने मेघालय सरकार में कैबिनेट मंत्री अम्पारीन लिंग्दोह को मैदान में उतारा है। उल्लेखनीय है कि लिंग्दोह के स्व. पिता पीटर जी मार्बानियांग 1989 से 1996 तक लोकसभा सांसद रहे हैं। इस बार पाला और लिंग्दोह में कड़ी टक्कर की देखी जा रही है। देखना यह होगा कि पाला अपना गढ़ बचा पाते हैं या फिर लिंग्दोह पहली बार लोकसभा की दहलीज पर कदम रखेंगी।

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