नई दिल्ली। भारत में किए गए मसालों के परीक्षणों में से करीब 12 फीसदी नमूने गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। यह जानकारी तब सामने आई है, जब कई देशों ने एमडीएच और एवरेस्ट जैसे लोकप्रिय ब्राडों के मसालों की बिक्री, खपत और आयात पर पाबंदी लगाई है।
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इन देशों में एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर पाबंदी
हांगकांग ने इन दोनों ब्रांडों के मसालों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद, ब्रिटेन ने भी भारत से आयात किए जाने वाले सभी मसालों पर नियंत्रण कड़ा कर दिया। न्यूजीलैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी इन ब्रांडों की जांच शुरू की। इसके बाद भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी इन ब्रांडों के मसालों की जांच की।
हमारे मसाले उपभोग के लिए सुरक्षित: एमडीएच और एवरेस्ट
एमडीएच और एवरेस्ट ने कहा है कि उनके मसाले उपभोग के लिए सुरक्षित हैं। इन मसालों की भारत में बहुत मांग है और ये यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका में भी बिकते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसालों का निर्यातक, उत्पादक और उपभोक्ता है।
मसालों के 4054 नमूनों में से 474 मानकों पर खरे नहीं उतरे
दरअसल, रॉयटर्स ने भारत के सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मई से जुलाई तक के मसालों के परीक्षण के आंकड़े हासिल किए। इसके मुताबिक इन महीनों के बीच में 4,054 नमूनों का परीक्षण किया गया। जिनमें से 474 नमूने गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे।
मानक पूरे न करने पर कंपनियों पर की कार्रवाई: एफएसएसएआई
खाद्य एजेंसी ने कहा कि उसने भारतीय कानूनों के अनुसार उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनके नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। जिओन मार्केट रिसर्च के मुताबिक भारत का घरेलू मसाला बाजार 2022 में 10.44 अरब डॉलर का था। मसाले और मसाला उत्पादों का निर्यात 2023 में 4.46 अरब डॉलर था। आरटीआई में रॉयटर्स ने उन सभी नमूनों की रिपोर्ट मांगी थी, जो परीक्षण में असफल रहे थे। लेकिन एजेंसी ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।