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बांग्लादेश में सेना को मिलीं न्यायिक शक्तियां; कानून व्यवस्था सुधारने के लिए अंतरिम सरकार का फैसला

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश में कानून व्यवस्था में सुधार लाने के लिए सेना को दो महीनों के लिए न्यायिक शक्तियां दी है। लोक प्रशासन मंत्रालय ने सरकार के फैसले पर एक अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया कि यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा। शक्तियां सेना के कमीशन प्राप्त अधिकारी को दी गई है। यह अधिकारी अगले 60 दिनों लागू होगा। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 17, जो सेना के अधिकारियों को विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट का दर्जा देती है, ने कहा कि ये अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट डिप्टी कमिश्नरों के अधीनस्थ होंगे।

कानून सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा, “हम कई स्थानों पर तबाह करने वाले कृत्य देख रहे हैं। हालात को देखते हुए सेना के जवानों को न्यायिक शक्तियां दे दी गई है।” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सेना के जवान इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं करेंगे। एक अन्य सलाहकार ने कहा, “पुलिस अभी तक ठीक से काम नहीं कर पाई है। शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद से कई पुलिसकर्मी सड़कों पर नदारद हैं।” हसीना सरकार के गिरने से पहले और तुरंत बाद पुलिस को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। भीड़ ने उनके वाहनों और संपत्तियों में आग लगा दी।

पुलिसकर्मियों पर हिंसा को देखते हुए बांग्लादेश पुलिस अधीनस्थ कर्मचारी संघ ने छह अगस्त को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी। हालांकि, 20 अगस्त को गृह मंत्रालय के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन के साथ बैठक के बाद हड़ताल वापस ले ली गई थी। पूर्व सचिव अबू आलम मोहम्मद शाहिद खान ने कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का यह निर्णय आवश्यक है। वहीं, वकील जी. खान पन्ना ने अंतरिम सरकार के इस फैसले का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह ठीक नहीं है। क्या सरकार का मजिस्ट्रेट्स से भरोसा उठ गया? डिप्टी कमिश्नर के अधीन न्यायिक कर्तव्यों का पालन करना सेना के जवानों के लिए ठीक नहीं है। सेना के जवानों को सामान्य लोगों के साथ मिलाना ठीक नहीं है।

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