• पूर्वांचल सहित अवध क्षेत्र में मनाया जा रहा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा।
अयोध्या /अम्बेडकरनगर। सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा धार्मिक मान्यताओं व परम्परागत ढंग से मनाया जा रहा है। तीन दिनों तक चलने वाले इस पर्व का प्रारंभ आज से हो गया।संतान सुख की प्राप्ति होती है। परिवार में ऐश्वर्य, सुख समृद्धि मिलती है। अयोध्या व अम्बेडकरनगर दोनों जिलों में शहर से लेकर बाजारों व ग्रामीणचंल क्षेत्र में मनाया जा रहा है। जिन स्थानों पर नदियों के तट हैं वहां तटों पूजा अर्चना होगी। दोनों जनपदों में सरयू सलिला के तटों पर पूजा अर्चना होगी।
मडहा नदी, तमसा नदी के तटों पर पूजा अर्चना की जायेगी। शेष स्थानों पर पोखरे, सरोवरों, तालाबों पर पूजा अर्चना होगी। पूजा अर्चना वाले स्थल की साफ सफाई की गई है ।वैसे यह पर्व बिहार में वृहद रुप मनाया जाता है। कुछ वर्षों से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के जिलों व्यापक प्रसार हुआ। धीरे-धीरे कुछ वर्षों से अवध क्षेत्र में भी मनाया जाने लगा। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक छठ पूजा मनाया जाता है।
इस दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा-उपासना की जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। आज 5 नवंबर 2024 से नहाय-खाय के साथ कार्तिक छठ पूजा की शुरुआत हो जाएगी।
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6 नवंबर को खरना है। 7 नवंबर को छठ पूजा का संध्या का अर्घ्य दिया जाएगा। 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रत का पारण होगा। सूर्य और छठी मैया के उपासना के इस महापर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत महाभारत के समय में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की। वह प्रतिदिन घंटों तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्यदेव के आशीर्वाद से वह महान योद्धा बना।
कुछ कथाओं में द्रौपदी से भी छठ पर्व को जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब माता द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। व्रत के पुण्य फलों से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था। इस तरह से छठ व्रत को सुख-समृद्धिदायक माना गया है।
इसके अलावा यह भी कथा प्रचलित है कि प्रभु श्रीराम ने जब लंकापति रावण को युद्ध में पराजित किया था, तो राम राज्य के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को माता सीता और भगवान श्रीराम ने उपवास किया था और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय दोबारा पूजा-आराधना से सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
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छठ पूजा में छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। छठी मैया सूर्य देव की बहन है। इसलिए छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व से एक दिन पहले घर की साफ-सफाई की जाती है। चारों दिनों तक सात्विक भोजन किया जाता है।
पहले दिन खरना होता है। दूसरे दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को जल देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ व्रत करने से घर में धन, सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है। संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।
तीन दिनों तक चलने वाले सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा राम नगरी व फैजाबाद शहर के अलावा पूराबाजार, मया बाजार, गोशाइंगज सहित ग्रामीणचंल क्षेत्र की बाजारों के अलावा गांव में भी छठ पूजा पर्व मनाया जा है। पवित्र नदियों के तट पर एवं पोखरे व तालाबों पर पूजा सम्पन्न होगी।
अम्बेडकरनगर जनपद के जिला मुख्यालय व शहजाद पुर, सहित राजे सुल्तानपुर, रामनगर बसखारी, टांडा, जलालपुर, भीटी महरूआ, बाजारों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में छठ पूजा पर्व मनाया जा रहा है।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह