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‘अनैतिक प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए ढांचा मजबूत करें बैंक बोर्ड’, आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को दी नसीहत

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को बैंकों के निदेशक मंडल के सदस्यों से अनैतिक गतिविधियों जैसे उत्पादों की गलत बिक्री या उचित केवाईसी सत्यापन के बिना खाते खोलने पर अंकुश लगाने के लिए आंतरिक संचालन ढांचे को मजबूत करने को कहा।

दास ने यह भी कहा कि बैंक कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहनों को सावधानीपूर्वक तैयार किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें अनैतिक कार्यों में लिप्त होने के लिए प्रोत्साहित न किया जा सके। उन्होंने यहां निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के सम्मेलन में मुख्य भाषण में कहा, “हालांकि इस तरह की प्रथाओं से अल्पकालिक लाभ मिल सकता है, लेकिन अंततः इनसे बैंक को दीर्घकालिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, जिसमें प्रतिष्ठा को नुकसान, पर्यवेक्षी जांच और वित्तीय दंड शामिल हैं।”

दास ने आगे कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ऐसे दौर से गुजर रहा है जो अवसरों के साथ-साथ जोखिमों और चुनौतियों से भी भरा हुआ है। उन्होंने कहा, “बैंकिंग क्षेत्र मजबूत और स्थिर बना हुआ है। पिछले वर्ष मई में हमारी बैठक के बाद से सभी वित्तीय संकेतकों में सुधार हुआ है, जो बैंकिंग क्षेत्र के विभिन्न प्रतिभागियों, जिनमें उनके प्रबंधन और बोर्ड शामिल हैं, के प्रयासों को दर्शाता है।”

बैंकिंग प्रणाली की लचीलापन बरकरार रखने के लिए गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा को सुदृढ़ और सुदृढ़ बनाने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे का लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “अच्छा समय, आखिरकार, लचीलेपन को मजबूत करने और स्थायी रूप से विकास करने का सबसे अच्छा समय होता है।”

दास ने यह भी कहा कि तेजी से विकसित हो रहे और प्रौद्योगिकी-संचालित वातावरण में संगठनों को महत्वपूर्ण चुनौतियों और जोखिमों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति, नए युग की फिनटेक संस्थाओं का उदय, तीसरे पक्ष पर निर्भरता और जलवायु परिवर्तन जैसे कारक आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं।

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