लखनऊ। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण लखनऊ में 26 नवम्बर 2024 को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसमें राजभाषा हिंदी के अधिक से अधिक कार्यालयी प्रयोग पर चर्चा की गई।
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भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अपर महानिदेशक व अध्यक्ष, नराकास (नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति कार्यालय-2), लखनऊ राजिंदर कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सदस्य कार्यालयों के विभागाध्यक्ष (कार्यालय प्रमुखों) सहित 90 राजभाषा अधिकारियों (हिंदी अधिकारियों) ने बैठक में भाग लिया।
नराकास अध्यक्ष राजिन्दर कुमार ने राजभाषा हिंदी में अच्छा कार्य करने वाले कार्यालयों की सराहना करते हुए कहा कि जो कार्यालय लक्ष्य प्राप्ति से थोड़ा दूर हैं, उन सभी कार्यालयों को वार्षिक कार्यक्रम के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा की राजभाषा हिंदी बहुत ही सरल भाषा है , बस इसका कार्यालय में प्रयोग करने में किसी भी प्रकार का संकोच और हिचक से दूर रहने की जरूरत है।
क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, गाज़ियाबाद, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के प्रतिनिधि अजय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक (कार्यान्वयन)
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ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालयों में राजभाषा क्रियान्वयन नराकास लखनऊ अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। इस अवसर पर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उत्तरी क्षेत्र एवं राज्य इकाई: उत्तर प्रदेश द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित विभागीय गृह पत्रिका ‘भूसंदेश 2024, अंक -11’ का भी विमोचन किया गया। बैठक के दौरान ओम प्रकाश, निदेशक व राजभाषा अधिकारी एवं सदस्य सचिव, नराकास (कार्यालय-2), लखनऊ द्वारा सभी सदस्य कार्यालयों की 1 अप्रैल, 2024 से 30 सितम्बर, 2024 तक की अवधि की राजभाषा से संबंधित छमाही प्रगति रिपोर्टों के आँकड़ों की समीक्षा पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुत की गई।
तत्पश्चात उक्त अवधि के दौरान हिंदी गृह पत्रिका प्रकाशित करने वाले 4 कार्यालयों को प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया गया और राजभाषा के कार्यान्वयन में धारा 3 (3), राजभाषा नियम-5 का पूर्णत: अनुपालन और हिंदी कार्यशालाओं तथा राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों आदि के वार्षिक कार्यक्रम के लक्ष्यों को पूर्ण करने वाले 22 कार्यालयों को स्मृति चिन्ह (शील्ड) से पुरस्कृत किया गया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी