नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति से हटा देने वाले कानून को चुनौती दी गई है। यह मामला अब एक अलग पीठ को सौंपा गया है और अगली सुनवाई छह जनवरी 2025 को होगी।
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शीतकालीन अवकाश के बाद अलग पीठ करेगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने याचिकाकर्ताओं के वकील गोपाल शंकरनारायणन और प्रशांत भूषण से कहा कि पहले की पीठ ने इस मामले में अंतरिम आदेश दिए थे। उन्होंने यह भी कहा कि अब इस मामले की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद एक अलग पीठ द्वारा की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र और अन्य संबंधित पक्षों को निर्देश दिया कि वे इस बीच बीच जनहित याचिकाओं पर जवाब दाखिल करें।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का दिया था आदेश
न्यायमूर्ति खन्ना उस दो न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिसने मार्च में इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी। तब न्यायमूर्ति खन्ना सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थे। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का निर्देश दिया था और इसके लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शामिल थे।
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विपक्षी नेताओं और संगठनों ने दी है चुनौती
हालांकि, कुछ समय बाद सरकार ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक पेश किया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश को इस समिति से हटा दिया गया और उनकी जगह एक केंद्रीय मंत्री रखा गया, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा चुना जाएगा। इस कदम का विपक्षी नेताओं और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स जैसे नागरिक समाज समूहों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।