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काफल भी पकने को तैयार, स्थानीय लोग हैरान; बदलते मौसम चक्र ने दिखाए नए रंग

अल्मोड़ा। जलवायु परिवर्तन का असर किस कदर पहाड़ों पर है। इसका ताजा उदाहरण इनदिनों धौलछीना के इर्द-गिर्द व बिनसर अभयारण्य के जंगलों में साफ दिख रहा है। पहाड़ में अक्सर फरवरी दूसरे पखवाड़े से मार्च में खिलने वाला बुरांश का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया। इससे लोग हैरत में हैं और मौसम चक्र में परिवर्तन को ही इसकी वजह मानते हैं। जंगलों में कई जगह काफल पकने को तैयार है।

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जलवायु परिवर्तन : काफल भी पकने को तैयार लोग हैरान

आमतौर पर पहाड़ के जंगलों में बुरांश का फूल 15 मार्च के बाद भी खिलता है। इसके बाद ही मार्च दूसरे पखवाड़े और अप्रैल में काफल पकता है। मगर अब प्रकृति अपना अलग रंग दिखा रही है।

हैरान करने वाली बात यह है कि इस बार जनवरी के पहले पखवाड़े से ही धौलछीना के आसपास तथा बिनसर अभयारण्य के जंगलों में बुरांश खिल गया है। कुछ जंगलों में काफल भी पकने लगा है।

जाहिर है कि अब ठंडे पहाड़ गर्म होने लगे हैं और यहां की आबोहवा धीरे-धीरे बदल रही है। स्थिति ये है कि इस साल सर्दियों में अभी तक मात्र दो दिन बारिश हो सकी है। बाकि पूरा शीतकाल शुष्क गुजरा है। जिससे पहाड़ जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। जनवरी में बुरांश का खिलना और काफल का पकना चिंतनीय स्थिति पेश करता है।

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