• पूजा पद्धति नहीं, लौकिक व्यवहार पर आधारित है सनातन- डॉ अतुल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Brajesh Pathak) ने कहा कि प्रेम, करुणा और सज्जनता जिसमें होती है वही सनातन है। भगवान बुद्ध ने भी प्रेम, करुणा, दया और मानवता का संदेश दिया। सनातन संस्कृति कहती है कि सबको साथ लेकर चलेंगे लेकिन आज स्थिति बदल गयी है। लोगों में स्वार्थसिद्धि और संपत्ति संग्रह की भावना घर कर गयी है। एक दूसरे को गिराकर आगे बढ़ने की भावना प्रबल हो गयी है। लेकिन सनातन का मतलब है कि हमें हंसते रहना है और समाज को आगे बढ़ाना है।
सनातन संगम न्यास (Sanatan Sangam Trust) द्वारा सहकारिता भवन प्रेक्षागृह में आज आयोजित सनातन धर्म समागम में अपने विचार व्यक्त करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सदभावना का देश है जहां प्रत्येक व्यक्ति सनातनी है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित महांकुम्भ मेले में शाश्वत सनातन की झलक दिखाई पड़ती है क्योंकि महांकुम्भ में किसी भी प्रकार कोई ऊंच नीच रंग भाषा एवं अमीर गरीब का भेद दिखाई नहीं पड़ता है। क्योंकि भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को एक सूत्र बांधा है।
श्री पाठक ने कहा कि सनातन देखना हो तो प्रयागराज जाइये, उन्होंने समानता के उदाहरण के तौर पर कहा कि क्या अडाणी अंबानी, क्या गरीब भिखारी, सभी एक घाट पर एक साथ संगम में डुबकी लगा रहे हैं।
अमीरी गरीब, ऊंचकृनीच, छोटा बड़ा का कोई भेदभाव नहीं, एकजुटता का ऐसा भव्य संगम पहले कभी देखने को नहीं मिला। यही सनातन है। डिप्टी सीएम ने कहा कि जब तक सूरज चांद रहेगा, महाकुंभ यूं ही चलता रहेगा। भारत की सनातन संस्कृति को कोई चुनौती नहीं दे सकता। जब तक हम सभी एकजुट रहेंगे, सनातन संस्कृति अनवरत कायम रहेगी।
सनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण (Dr Atul Krishna) ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सनातन शब्द की आलौकिक व्याख्या करते हुए कहा कि वह जो चिरकाल से है, जो शाश्वत है जो अपरिवर्तनीय है वही सनातन है। जब इस शब्द का प्रयोग किसी दर्शन के संबंध में किया जाता है तो इसका अर्थ उन सिद्धांतों से होता है जो किसी व्यक्ति के द्वारा नहीं बनाए गए बल्कि स्वयं प्रकृति ने उन्हें मानव को उसके धर्म स्वरूप दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के द्वारा दिए गए सनातन मूल्य वे हैं जिन पर चलकर व्यक्ति अपना एवं संपूर्ण सृष्टि का मंगल कर सकता है।
यह सनातन मूल्य प्रेम, करुणा, मैत्री, समानता सद्भावना एवं समन्वय का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि सनातन भावों का किसी की पूजा पद्धति से कोई संबंध नहीं है, प्राथमिक रूप से यह भाव लौकिक व्यवहार से संबंध रखते हैं। यदि इतिहास को देखा जाए तो सनातन धर्म की स्पष्ट व्याख्या तथागत बुद्ध ने की थी। डॉ.अतुल कृष्ण ने कहा कि आज आपसी टकराव के कारण जो अंधकार चारों ओर फैला है उसे मिटाने का काम सनातन संगम न्यास की यह ज्योति करेगी।
लखनऊ विष्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं लखनऊ इन्टेलेक्चुअल फाउण्डेषन के अध्यक्ष प्रो बीएन मिश्रा ने अपने विशिष्ठ अतिथि रूप में समागम को सम्बाधित करते हुए कहा कि सनातन धर्म समागम सभी धर्मों को जोड़ने का अद्भुत कार्यक्रम है। यह समागम मुहिम सभी व्यक्तियों को एक साथ लाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। जिसके लिए संनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण हमेशा याद किए जाएंगे।
इसके पूर्व कार्यक्रम का आरम्भ सनातनी पद्धति के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आरती वंदन के साथ हुआ। इसके बाद विभिन्न पंथों के धर्माचार्यों द्वारा मंत्रोच्चारण का पवित्र पाठ हुआ। कार्यक्रम में युवा समाज सेवी कुंवर ज्योतिरादित्य ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। अभिषेक जैन ने टीम के साथ नमोकार मंत्र पाठ कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। तदुपरांत प्रो. ममता तिवारी ने ‘कैसे आएंगे भगवान‘ बेहद भावपूर्ण भजन सुनाकर समा बांध दिया। कार्यक्रम के दौरान प्रभु नारायण, इंजी. बीके मिश्र, उमेश पाटिल और अजमेर बहादुर सिंह को प्रशस्तिपत्र और बुके देकर सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बौद्ध तरुणेश ने की तथा कार्यक्रम को पूर्व विधायक सुषमा पटेल, प्रभु नारायण, पूर्व सैनिक फ्लाइंग अफसर अजमेर बहादुर सिंह, सरदार मंजीत सिंह और हीरो हितो सिंह ने भी संबोधित किया।