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द्विपक्षीय निवेश संधि का नया मॉडल वैश्विक निवेश वातावरण की मांग के आधार पर बनेगा, बोले सीईए नागेश्वरन

द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) का नया मॉडल पाठ गतिशील वैश्विक निवेश माहौल की मांगों के देखते हुए तैयार होगा और यह भारत के संप्रभु अधिकारों और नियामकीय प्रतिबद्धताओं की भी सुरक्षा करेगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने यह टिप्पणी की है।

‘भारत को निवेश अनुकूल बनाना’ विषय पर एक पोस्ट बजट वेबिनार 2025 को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए बीआईटी ढांचे को संशोधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के मॉडल बीआईटी की पिछली समीक्षा के बाद से लगभग 10 वर्ष बीत चुके हैं और तब से वैश्विक निवेश के पारिस्थितिकी तंत्र और न्यायशास्त्र में बड़ा बदलाव हुआ है।

नागेश्वरन ने कहा कि निवेशक अब अपने निवेश के लिए अधिक मजबूत सुरक्षा चाहते हैं, विशेष रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में। ऐसे में मॉडल बीआईटी में बदलाव जरूरी हो गया है, ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाया जा सके और सुनिश्चित किया जा सके कि देश मध्यम आकार के उद्यमों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहे। नागेश्वरन ने कहा, “नया मॉडल बीआईटी गतिशील वैश्विक निवेश वातावरण की मांगों के प्रति अधिक अनुकूल होगा।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2025-26 के बजट भाषण में कहा कि निरंतर विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने और ‘फर्स्ट डेवलप इंडिया’ की भावना के साथ वर्तमान मॉडल बीआईटी को नया रूप दिया जाएगा और इसे अधिक निवेशक-अनुकूल बनाया जाएगा। नागेश्वरन ने यह भी कहा कि विदेशी निवेश आर्थिक वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और “हम चालू खाता घाटे (सीएडी) वाले देश हैं, इसलिए हमें पोर्टफोलियो और प्रत्यक्ष निवेश दोनों की आवश्यकता है”।

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