सरकार का मानना है कि उद्योग जगत व निर्यातकों को उसकी तरफ से मिलने वाली सब्सिडी पर निर्भर रहने के बजाय मार्केट में खुद को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. व्यापार बोर्ड व व्यापार विकास और संवर्धन परिषद की संयुक्त मीटिंग को संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बोलाकि उनका अनुभव है कि जिन क्षेत्रों से सब्सिडी खत्म हुई है, उनमें उद्योग व व्यापार ने तेज गति से वृद्धि की है. सरकार उद्योग व निर्यातकों को मिलने वाले प्रोत्साहनों की समीक्षा करके इस पूरी व्यवस्था को व्यापक बनाना चाहती है.
वैश्विक कारोबार में हिंदुस्तान की स्थिति को मजबूत बनाने पर विचार विमर्श करने को बुलाई गई इस मीटिंग में निर्यात संवर्धन परिषदों से लेकर उद्योग चैंबर व व्यापार परिषद के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. मीटिंग में प्रदेश सरकारों के प्रतिनिधियों के अलावा कई मंत्रलयों के सचिव भी मौजूद थे. मीटिंग करीब नौ घंटे चली जिसमें कई प्रजेंटेशन पेश किए गए.मीटिंग के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए गोयल ने बोला कि उद्योग ने इस बात पर सहमति जताई कि अब सब्सिडी जैसे मुद्दों को छोड़कर प्रतिस्पर्धी बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए. अमेरिका की तरफ से जीएसपी रियायतें खत्म किए जाने के सवाल पर उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान अब अल्पविकसित देश नहीं है, जिसे आगे बढ़ने के लिए कहीं से मदद की दरकार हो.
बैठक में उद्योगों व निर्यातकों को लोन मुहैया कराने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई. साथ ही कृषि उत्पादों के निर्यात को लेकर भी चर्चा हुई. सरकार खासतौर पर कृषि क्षेत्र के वैल्यू एडेड उत्पादों के निर्यात को सरकार बढ़ावा देना चाहती है. गोयल ने बोला कि उद्योग भी चाहता है कि उनके कारोबार में सरकार की दखलंदाजी कम हो.
इससे पहले प्रातः काल मीटिंग को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा, ‘मुङो नहीं लगता कि कोई भी प्रोग्राम या महत्वाकांक्षी स्कीम केवल सब्सिडी या सरकार की मदद से ही चल सकती है. हमें इस मांग व इसके लिए किए जाने वाले प्रयासों से बाहर निकलना होगा.’ वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने उद्योगों को मजबूत करने पर जोर दिया ताकि मैन्यूफैक्चरिंग व निर्यात दोनों की गति को बढ़ाया जा सके.
गोयल ने बोला कि अब उद्योग व कारोबार को नए नजरिये से देखने की जरूरत है. उन्होंने बोला कि हमें दुनिया के समक्ष बराबरी की शर्तो पर कारोबार करने वाला देश बनना होगा.इसलिए देश को अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमताओं को विकसित करना होगा. उन्होंने उद्योग व निर्यातकों से इस दिशा में नीतियां बनाने के लिए सुझाव भी मांगे.