शरीद में अगर वात, पित्त व कफ संतुलित रहे तो आदमी को कई बीमारियों से अपने आप ही निजात मिल जाती है. साथ ही पेट की बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है. चक्रासन चक्र की आकृति पर आधारित है. इसमें हम शरीर को उसी कि तरह ढालते हैं, जिससे स्पाइन से लेकर पेट तक में खिंचाव आता है. इससे पेट की चर्बी भी कम होती है व फैट की चर्बी भी दूर होता है. हालांकि विशेषज्ञों का बोलना है कि अस्थमा व हाई बीपी के मरीजों को यह आसन नहीं करना चाहिए. बाकी सभी आयु वर्ग के लोग इस आसन को कर सकते हैं. योग प्रशिक्षक जिज्ञासा कापरी व कृति चैटर्जी इस आसन के बारे में बता रही हैं ऐसे करें आसन
– सबसे पहले पैरों को मोड़कर जमीन पर लेट जाएं. हाथों से पैरों के ठखनों को पकड़कर अपनी ओर खींचे.
– पैरों को उसी अवस्था में छोड़कर अब हाथों को मोड़कर पंजों को सिर के बगल में रखें. उंगलियां कंधे की ओर फैली होनी चाहिए.
– अब अपने शरीर के बीच के भाग को उठाएं. हाथ व पैर जमीन पर व मुंह जमीन की ओर हो बाकी शरीर उठा रहे, जो देखने में सेमी सर्किल के आकार का हो.
आयंगर पद्धति
प्रकार एक
पैरों को मोड़कर लेटें व हाथों के पंजों को सिर के बगल में रख लें. पीठ के नीचे एक तकिया रख लें व पीठ उठाने की स्थान तकिए पर ही रख दें.
प्रकार दो
इसमें एक नीचा स्टूल लें व कूल्हे के नीचे स्टूल को लगा लें. हाथों को जमीन पर टिका दें जबकि गर्दन शरीर की सीध में रहे.
प्रकार तीन
एक ऊंचा स्टूल लें व उस पर तकिया रख लें. अपने कूल्हों को तकिए पर रखें व पैर व हाथ जमीन पर ही रखें. गर्दन नीचे की ओर होनी चाहिए.
आसन के फायदे
– इस आसन को करने से फैट की चर्बी बहुत ज्यादा हद तक कम हो जाता है
– वात, पित्त व कफ अच्छा रहता है
– चेहरे पर तेज बढ़ता है
– कमर में लचीलापन आता है, जिससे कमर दर्द में राहत मिलती है
– घुटने मजबूत होते हैं व टखने भी बहुत ज्यादा बेहतर कार्य करते हैं