ऑटोमोबाइल सेक्टर पिछले 2 दशकों के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. कंपनियों के लगातार प्रोडक्ट्स लॉन्च करने के बावजूद उन्हें खरीदने वाले नदारद है. मंदी के इस दौर का प्रभाव अब लोगों की जिंदगियों पर दिखने लगा है. मांग में कमी के चलते ऑटो उद्योग में लगभग 2 लाख से ज्यादा लोग अपनी रोजी-रोटी गंवा चुके है. मारुति के बाद अब महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी अपने 1500 अस्थायी कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
महिंद्रा एंड महिंद्रा के एमडी पवन गोयनका ने कहा, ‘अब तक हमने करीब 1500 अस्थायी कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया है. हम प्रयास कर रहे हैं कि कर्मचारियों को ना हटाना पड़े लेकिन मंदी जारी रहने के दशा में हमें व लोगों को भी कार्य से हटाने पर विवश होना पड़ेगा.
आपको मालूम हो कि इससे पहले इससे पहले देश की सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माता मारुति सुजुकी ने करीबन 3000 अस्थायी कर्माचारियों की छंटनी की थी.
ऑटो इंडस्ट्री में जुलाई महीने में सभी वाहनों की बिक्री 18.71 प्रतिशत गिरकर 18 लाख 25 हजार इकाई रही. जबकि बीते वर्ष जुलाई महीने में 22 लाख 45 हजार वाहन बेचे गए थे.यह पिछले 19 वर्ष में सबसे बड़ी गिरावट रही. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि अक्टूबर 2018 के बाद से ही ऑटो इंडस्ट्री में गिरावट का सिलसिला जारी है. तमाम कोशिशों के बाद भी ऑटो उद्योग बिक्री में लगातार आ रही गिरावट से निकलने में नाकामयाब रहा है.
प्रोडक्शन में कमी कर रही है कंपनियां- मंदी की वजह से कंपनियां प्लांट्स पर कं प्रोडक्शन कर रही हैं. अभी हाल ही में होंडा ने 4 दिनों के लिए प्रोडक्शन रोक दिया था तो वहीं टोयोटा ने भी अपने कर्नाटक प्लांट में इनोवा क्रिस्टा व फॉर्च्यूनर के उत्पादन में कटौती की है. कंपनी के डिप्टी मैनेजर (सेल एंड सर्विस) एन। राजा ने मीडिया से वार्ता के दौरान बताया कि बेंगलुरु का प्लांट अपनी 50-55 प्रतिशत क्षमता पर ही ऑपरेट किया जा रहा है. कंपनी ने अगस्त में 4 दिन के लिए प्लांट पर प्रोडक्शन बंद कर दिया है.
वहीं, कोरियाई कंपनी ह्यूंडई ने भी चेन्नई में अपने प्रोडक्शन में कटौती की है. कंपनी नेको की गई घोषणा में बोला कि मार्केट की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पैसेंजर कार, पावरट्रेन सिस्टम व संबंधित सपोर्ट डिपार्टमेंट में भिन्न-भिन्न समय के दौरान प्रोडक्शन नहीं किया जाएगा.