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मानसिक और हार्मोनल से पा सकते है ऐसे छुटकारा

ज्यातादर महिलाएं अपने घर-परिवार में व्यस्त होने के कारण अपनी स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पातीं. ऐसे में आयु के साथ होने वाले शारीरिक, मानसिक और हार्मोनल परिवर्तन से कई रोगों की संभावना बढ़ जाती है. व्यायाम, ठीक दिनचर्या और पौष्टिक खानपान से स्वास्थ्य वर्धक रहा जा सकता है. यह तभी संभव है जब महिलाएं अपने लिए समय निकालें.

ये होती दिक्कतें –
हार्मोनल परिवर्तन से अनियमित पीरियड्स की शिकायत, कमजोरी से स्वभाव में चिड़चिड़ापन और थकान, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और तनाव की तकलीफ, कैल्शियम की कमी से हड्डियां निर्बल होना, कमर-जोड़ोंं में दर्द, एस्ट्रोजन कम बनने से मनोरोग, गर्भाशय और ब्रेस्ट संबंधी रोगों की आशंका, मेनोपॉज प्रारम्भ होने से दिल रोगों, एनीमिया आदि की परेशानी हो सकती है.

अहम कारण –
हार्मोन्स में परिवर्तन होना मुख्य कारण है. इसके अतिरिक्त प्रमुख रूप से छोटी-छोटी समस्याओं को नजरअंदाज करना भी बड़ी बीमारी की वजह बनता है. खानपान पर ध्यान न दे पाना, निर्बल इम्युनिटी, पर्यावरण में परिवर्तन  प्रदूषण भी कई रोगों की संभावना बढ़ाता है. धूम्रपान, जंक फूड  तनाव भी वजह हैं.

ऐसे रह सकती हैं फिट –
नियमित संतुलित और पौष्टिक डाइट लें. हरी पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल खाएं. एंटीऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम और फाइबर युक्त चीजें लें. 35 से 40 वर्ष की आयु में रोज दूध पीएं. 45 मिनट वर्कआउट रोज करें. इससे रोगों की संभावना 50फीसदी घट जाती है. स्विमिंग, एरोबिक्स, साइक्लिंग, रस्सीकूद, वॉक-जॉगिंग करें. तनाव से बचने के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान करें. खाली पेट बिल्कुल न रहें. प्रतिदिन 8 घंटे  दोपहर में बायीं करवट से 2 घंटे की नींद लें.

ब्लड प्रेशर की जाँच अन्य रोगों से बचाएगी.
मेमोग्राफी टैस्ट से ब्रेस्ट कैंसर का समय पर पता लग सकेगा.
गर्भाशय संबंधी समस्या की पहचान के लिए पैप स्मियर टैस्ट हर तीन वर्ष में कराना चाहिए.
पांच वर्ष में एक बार थायरॉइड टैस्ट.
वजन न बढ़ने दें.
हड्डियों की मजबूती का पता बीएमडी टैस्ट से चलता है.
ध्यान रखें : घी के साथ बिना पोलिश के चावल, जौ का दलिया, घी लगी जौ की रोटी, चावल मिश्री घी यदि खाती हैं तो हैल्दी रह सकती हैं.

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