दिवाली का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है।इस त्यौहार के आते ही चारों तरफ खुशियों का माहौल छा जाता है। दिवाली मनाने का सबका अपना एक अंदाज होता है। वैसे बात दिवाली की करें तो यह त्यौहार दीपों और प्रकाश का त्यौहार होता है जब हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश होता है।
इस त्यौहार को दीपक और पटाखा खास बनाता है लेकिन इसके साथ एक और सच्चाई यह है कि पटाखा प्रदूषण को बढाने में एक जिम्मेदार कारक भी है। हम इस दिवाली को खास बना सकते है लेकिन यह याद रखना होगा कि पटाखा का इस्तेमाल कम से कम करें।
पटाखा हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रदूषण के लिए हानिकारक है। पटाखा को जलाने से जो धुंआ निकलता है वह वातावरण में फैलकर लोगों में सांस की बीमारी को उत्पन्न करता है। पटाखा जलाने से उससे निकलने वाला आवाज कान के लिए भी नुकसानदायक होता है। थोड़ी भी असावधानी होने से पटाखा कई लोगों को एक साथ अपने लपेट में ले सकता है। पटाखा से जलने का डर बहुत अधिक होता है और यह आग लगाने में एक जिम्मेदार कारक है।
यह खुशियों का त्यौहार है इसलिए इसे खुशी के साथ मनाना चाहिए। परिवार के साथ रहने पर त्यौहार ऐसे ही खास हो जाता है। इस दिन हर तरफ लाइट, बल्ब, और ढेरों झालर देखने को मिलता है। सब अपने घर में ज्यादा से ज्यादा प्रकाश करना चाहते हैं लेकिन इसका प्रयोग कम करके आप बिजली का बचाव कर सकते हैं।
दिवाली के दिन लोग अपने घरों में रंगोली बनाते हैं। रंगोली को बनाते हुए इस बात का ध्यान रखें कि ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का प्रयोग करें। आप नेचुरल तरीके से रंग बना सकते हैं और उस रंग को अपने रंगोली में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपके घर की खूबसूरती में चार चांद लगेगा, आप रंगोली को बनाने के लिए फूलों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल से कोई खतरा नहीं होता है लेकिन आज-कल बाजार में जो रंग मिलते हैं उसके प्रयोग करने से हाथों में जलन और खुजली जैसी समस्या होने का खतरा होता है।
इस सब को ध्यान में रखते हुए इस दिवाली हम खुशियों के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण का भी खयाल रखेंगे।