लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का भव्य उद्घाटन प्रातः सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में मुख्य अतिथि डाॅ.दिनेश शर्मा उपमुख्यमंत्री उ.प्र. ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीशों समेत 71 देशों से पधारे 290 से अधिक न्यायविदों व कानूनविदों ने समारोह की गरिमा में चार-चांद लगा दिये। इस अवसर पर उप-मुख्यमंत्री डाॅ.दिनेश शर्मा ने इरीटिया के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मेन्केसियस बेराकी को ‘महात्मा गांधी अवार्ड’ प्रदान कर सम्मानित किया। विदित हो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 20वां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ 8 से 12 नवम्बर तक सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है।
भाईचारा बढ़ाने में सफल-
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए उपमुख्यमंत्री डाॅ.दिनेश शर्मा ने कहा कि सीएमएस सफलतापूर्वक पिछले 20 वर्षों से यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है। भारतीय संस्कृति आदिकाल से पूरे विश्व को एक साथ लेकर चलने की रही है। हम सब यहां एक दूसरे साथ मिलकर चलने के लिए एकत्र हुए हैं। यह सम्मेलन विश्व से हथियार इकट्ठा करने की दौड़ खत्म करने तथा भाईचारा बढ़ाने में सफल होगा। मेरी शुभकामना है कि आप सब मिलकर विश्व में एकता, शांति तथा सद्भाव बनाने में सफल हों।
मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विभिन्न देशों से पधारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य राजनीतिक हस्तियों समेत कई प्रख्यात न्यायमूर्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर बोलते हुए त्रिनिदाद एवं टोबैको के राष्ट्रपति माननीय एन्थोनी थामस अकीनास कारमोना ने कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल के बच्चों की अपील को हमें नजरअन्दाज नहीं करनी चाहिए। एक प्रभावशाली विचार से ही क्रान्ति की शुरूआत होती है। उन्होंने आगे कहा कि हम सब यहां भाई-बहन की तरह मानवता की पुकार हेतु एकत्र हुए हैं।
असली बदलाव सोच में बदलाव से-
मुझे प्रसन्नता है कि युवा पीढी अपने युग की समस्याओं से उदासीन नहीं रहेगी और वे स्वस्थ वातावरण, स्वच्छ जल इत्यादि की दिशा में कार्य करेंगे। हैती के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय जीन हेनरी सेंट ने कहा कि असली बदलाव सोच में बदलाव से आएगा। यदि हम सबके साथ संसाधनों को बांटना सीख लें, तो हमें वह समानता मिल जाएगी जिसको हम वर्षों से खोज रहे हैं। उन्होने भारतीय लोगों को बधाई दी कि उनका संविधान उनके समक्ष अनुपालन के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
क्रोएशिया के पूर्व राष्ट्रपति माननीय स्टीपन मेसिक ने कहा कि विश्व में बदलाव लाने के लिए इच्छा शक्ति, विवेक व दूरदर्शिता की आवश्यकता है। बहुमूल्य है इसका हमें विश्व के लोगों के भले के लिए अधिकतम तरीके विवेकशील से उपयेाग करना होगा। इजिप्ट सुप्रीम कोर्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शेरीफ ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हमें मिल-जुलकर एकता व शांति के लिए प्रयास करना होगा तभी आर्थिक सम्पन्नता, पर्यावरण में सुधार तथा अन्य सुविधायें आने वाली पीढियों को मिल पायेंगी।
विश्व में गरीबी और असमानता-
अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सैद यूसुफ हलीम का कहना था कि भारतीय संविधान में आर्टिकल 51 की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे हम उस तरह की विपदाओं से बच सकते हैं जैसे अफगानिस्तान ने वर्षों तक चले युद्धों में सैकड़ों जानों को खोकर देखी है। दक्षिण अफ्रीका के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोगोंग थामस रीसंग ने कहा कि किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए पहले उसकी जड़ तक जा कर उसकी वजह को समझना आवश्यक है। जब तक विश्व में गरीबी और असमानता है, तब तक हम प्रगति की कल्पना नहीं कर सकते। वास्तव में गरीबी उन्मूलन कोई दया नहीं बल्कि न्याय का विषय है।
इसके अलावा विभिन्न देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने आज विभिन्न पैरालल सेशन्स में जमकर चर्चा परिचर्चा की। इन पैरालल सेशन्स के अन्तर्गत ‘क्रिएटिंग कल्चर ऑफ यूनिटी एण्ड पीस’, ‘इस्टेब्लिशिंग रूल ऑफ लाॅ’, ‘ह्यूमन राइट्स’, ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’, ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज’ एवं ‘सस्टेनबल डेवलपमेन्ट’ आदि विषयों एवं उप-विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
कानून व्यवस्था ही एक आदर्श विश्व व्यवस्था-
सम्मेलन के संयोजक व सीएमएस संस्थापक डा.जगदीश गांधी ने आज अपरान्हः सत्र में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि विश्व भर से पधारे न्यायमूर्तियों का मानना है कि एक प्रजातान्त्रिक विश्व सरकार का गठन अतिआवश्यक है। विश्व सरकार, विश्व संसद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही एक आदर्श विश्व व्यवस्था की धुरी है, जो आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी और पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को नियन्त्रित करने में सक्षम है। डॉ. गांधी ने आगे बताया कि मुख्य न्यायाधीशों ने सीएमएस छात्रों की अपील को ध्यानपूर्वक सुना और इस पर गहरा विचार-विमर्श किया। इस अपील में छात्रों ने विश्व के ढाई अरब बच्चों की ओर से इन मुख्य न्यायाधीशों से कहा कि हम बच्चे एक सुरक्षित भविष्य चाहते हैं। हमें यह बमों का जखीरा नहीं चाहिए। आप लोग मिलकर ऐसी कानून व्यवस्था बनायें जिससे विश्व में एकता व शान्ति स्थापित हो सके, बच्चों पर अत्याचार समाप्त हो और युद्ध समाप्त हो।
सीएमएस के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि एक नवीन विश्व व्यवस्था के सृजन हेतु 71 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों के सारगर्भित विचारों का दौर कल 10 नवम्बर, रविवार को भी जारी रहेगा। प्रदेश के कानून एवं न्यायमंत्री बृजेश पाठक कल 10 नवम्बर को प्रातः 9.00 बजे सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में मुख्य अतिथि के रूप में पधार कर इस ऐतिहासिक सम्मेलन के तीसरे दिन का उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने देश-विदेश से पधारे इन सभी न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य प्रख्यात हस्तियों को कल 10 नवम्बर को सायं 7.30 बजे साइन्टिफिक कन्वेन्शन सेन्टर, केजीएमयू, में ‘रात्रिभोज’ पर आमन्त्रित किया है। इस अवसर पर “फेडरेशन ऑफ वर्ल्ड पीस एण्ड लव” के सदस्य एवं सीएमएस चौक कैम्पस के छात्र शिक्षात्मक-सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।