लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के रहते किसानों का भला होने वाला नहीं है। धान किसान, आलू किसान और गन्ना किसान बदहाली के दौर से गुजरने को मजबूर हैं। किसान को उसकी फसल का लागत मूल्य तक नहीं मिल रहा है जबकि लागत का ड्योढ़ा दिए जाने का वादा है। गन्ना किसान को बकाया पर ब्याज भी नहीं मिल रहा है। धान उद्योगपतियों से मिलकर किसानों को सरकार लुटवा रही है। मुख्यमंत्री जी के आदेश उनके कार्यालय परिसर के ही अंदर हवा में गूंजते रहते हैं।
धान किसान की बड़ी दुर्दशा है। कई जिलों में जल भराव से अगली फसल भी नहीं हो सकेगी। अकेले बलिया में 4 हजार एकड़ धान की खेती डूब गई है। खेतो में अभी पानी भरा है। कई जनपदों में धान बीमारी का शिकार हैं। जहां स्थिति ठीकठाक है वहां धान खरीद महज दिखावे की चीज बन गई है। राज्य सरकार का लक्ष्य तो 50 लाख मीट्रिक टन का है लेकिन अभी तक मात्र 6.18 लाख टन की ही खरीद हुई है।
सरकारी निर्देशों के बावजूद प्रदेश में धान खरीद केन्द्र बहुत जगहों पर खुल नहीं पाए हैं। जहां खुले भी हैं वहां 1815 रू प्रति कुन्तल के निर्धारित मूल्य पर खरीद नहीं हो रही है। बिचौलियों के साथ धान खरीद केन्द्र के अधिकारियों की मिली भगत की शिकायतें हैं। वहां किसान को इतना परेशान किया जाता है कि वह आढ़तियों को औने-पौने दाम पर धान बेचकर चला जाता है। कई जगह मजबूरन किसान द्वारा 1200 रू0 प्रति कुन्तल में धान बेचा जा रहा है। आलू किसान को तो बहुत आश्वासन दिए गए लेकिन हकीकत में वह आज भी उपेक्षा का शिकार है। उसे न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पा रहा है और नहीं उसकी फसल खरीद की व्यवस्था है। वह बाजार में औने-पौने दाम पर फसल बेचने को बाध्य है।
सबसे बुरी दशा तो गन्ना किसान की हैं। जबसे राज्य में भाजपा सत्ता में आई है, उसके बकाया भुगतान में जानबूझकर देरी हो रही है। केन्द्रीय शूगर केन सप्लाई एण्ड परचेज एक्ट और यूपी शूगर केन कंट्रोल आर्डर के अनुसार मिलों में गन्ना खरीद के 14 दिनों बाद भुगतान पर ब्याज पाने का किसानों को अधिकार है लेकिन इस पर अफसर और सरकार संजीदा ही नहीं है। किसान मिल मालिकों की मेहरबानी पर रहने को मजबूर है क्योंकि सरकार की प्राथमिकता में किसान नहीं, पूंजीपति है। किसान कर्ज लेकर बीज, कीटनाशक, सिंचाई आदि की व्यवस्था करता है बदले में उसे सिर्फ उपेक्षा और जलालत ही मिल रही है। किसानों के दर्द को भाजपा सरकार महसूस करना ही नहीं चाहती है। किसान के हजारों करोड़ रूपयों पर मिल मालिक कुंडली मारे बैठे हैं।
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने बर्बाद करके रख दिया है। समाजवादी सरकार में किसानों के हितों को वरीयता दी गई थी। भाजपा सरकार पूंजीघरानों को रियायतें बांटती है। किसान, खेती और गांवों की दशा दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। समाजवादी सरकार ने कुल बजट का 75 प्रतिशत भाग कृषि क्षेत्र पर खर्च किया था। भाजपा ने किसानों को कर्जदार बना दिया और उसे आत्महत्या करने को विवश कर दिया है। भाजपा सरकार में किसानों की यही नियति रहेगी।