ट्विटर और फेसबुक जैसे चर्चित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं को फूलप्रूफ ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे की गूंज बुधवार को संसद में सुनाई दी। इसमें यहां महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत गठित की गई संसद की स्थायी समिति की एक अहम बैठक हुई। जिसमें ट्वीटर के साथ महिलाओं को ठोस ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई।
स्थायी समिति की एक महिला सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आज की यह बैठक काफी महत्वपूर्ण थी। जिसके केंद्र में ट्वीटर था। क्योंकि बीते काफी वक्त से हम देख रहे हैं कि ट्वीटर पर महिलाओं को अक्सर उनकी किसी भी टिप्पणी के लिए कभी ट्रोल किया जाता है, कभी उनका कोई संदेश अचानक वायरल कर दिया जाता है, कभी उनके खिलाफ गलत भाषा का प्रयोग किया जाता है तो कभी गलत संदेशों के जरिए उन्हें सामाजिक तौर पर अपमानित करने की कोशिश भी की जाती है।
ऐसे में उन तमाम उपायों पर अब चर्चा करना बेहद जरुरी हो जाता है, जिनसे यह स्पष्ट हो सके कि कैसे महिलाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सुरक्षित रखा जा सके? और कैसे इनके सही इस्तेमाल को लेकर महिलाओं को जागरुक किया जा सके? यही वह तमाम बिंदु थे जिनपर समिति ने अपनी बैठक के दौरान मंथन किया। अब जल्द ही समिति महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा के मुद्दे को लेकर फेसबुक से भी चर्चा करेगी। इसके बाद जैसे यह वर्ताओं का दौर समाप्त हो जाएगा। उसके बाद समिति अपनी रिपोर्ट सिफारिशों के साथ संसद को सौंपेगी।
कड़े नियमों की जरूरत
गौरतलब है कि यह तमाम गतिविधियां देश में उस वक्त पर शुरु हो रही हैं जब दुनियाभर में सोशल मीडिया कंपनियों का प्रयोग नफरत फैलाने वाली सामग्री के प्रचार (हेट मैसेज फैलाने), गलत भाषा का प्रचार करने और ट्रोलिंग के लिए किया जा रहा है। ऐसे में इन कंपनियों के लिए कड़े नियम बनाने और उनकी जवाबदेही तय करने की बेहद आवश्यकता है।