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विदेशी मीडिया में छाया तेलंगाना पुलिस का एनकाउंटर, भारत में बढ़ती घटनाओं पर जताई चिंता

तेलंगाना (Telangana) की राजधानी हैदराबाद (Hyderabad) में महिला वेटनरी चिकित्सक से गैंगरेप (Gangrape) के बाद मर्डर व मृत शरीर जलाने के मुद्दे के सभी चारों आरोपियों को शुक्रवार प्रातः काल पुलिस ने एनकाउंटर (Encounter) में मार गिराया। इस समाचार ने भले ही देशभर में खुशी का माहौल दिखाई दिया लेकिन बहुत ज्यादा लोगों ने इस घटना की आलोचना भी की। तेलंगाना पुलिस के एनकाउंटर को विदेशी मीडिया में भी खासी तवज्जो दी गई है। ने हिंदुस्तान में हुए इस एनकाउंटर के बाद जिस तरह से लोगों में खुशी की लहर दौड़ी है उस पर ध्यान केंद्रित करने के साथ गैर न्यायिक मृत्युदंड की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जताई है।

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान के कुछ वर्ग ने किया है उस पर खुशी जताई है। हिंदुस्तान में जिस तरह से स्त्रियों व बच्चों के विरूद्ध जघन्य क्राइम बढ़े हैं उसके बाद बहुत ज्यादा बड़ा वर्ग इसी तरह का निवारण चाहता है। हालांकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता व एडवोकेट कह रहे हैं कि एनकाउंटर न्यायेत्तर मर्डर है। रिपोर्ट में बोला गया है कि संदिग्ध अपराधियों की पुलिस द्वारा मर्डर किया जाना हिंदुस्तान में इतना व्यापक है कि उनकी अपनी शब्दावली है। इस तरह की घटनाओं को एनकाउंटर बोला जाता है व इसमें शामिल ऑफिसर कहते हैं कि उन्होंने आत्मरक्षा में यह कार्रवाई की है। लेकिन कार्यकर्ता कहते हैं कि पुलिस को बहुत ज्यादा छूट हासिल है व हत्याओं की उचित जाँच नहीं होती।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे हाल के महीने में हिंदुस्तान के सर्वाधिक घृणित क्राइम मामलों में से एक बताया व बोला कि शुक्रवार को इस घटना का आकस्मित एवं स्तब्धकारी अंत हो गया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस एनकाउंटर में शामिल पुलिसवालों को नायक बताया जा रहा है व हैदराबाद की सड़कों पर लोगों ने पुलिस अधिकारियों पर गुलाब के फूल बरसाए। वे इसे जघन्य क्राइम के त्वरित न्याय का जश्न मना रहे हैं। शुक्रवार को इतने लोग सड़कों पर जश्न मनाने निकल गए कि यातायात बाधित हो गया।

बीबीसी ने लिखा कि पुलिस कार्रवाई का सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला। कई लोगों ने ट्विटर व फेसबुक पर पुलिस की कार्रवाई की प्रशंसा की। बीबीसी ने दिल्ली में दिसंबर 2012 के सामूहिक दुष्कर्म व मर्डर के मुद्दे ने हिंदुस्तान में स्त्रियों के विरूद्ध दुष्कर्म व हिंसा की घटनाओं की तरफ ध्यान खींचा है। रिपोर्ट में ये भी बोला गया है कि हिंदुस्तान में इतना सब होने के बावजूद स्त्रियों के विरूद्ध क्राइम में कमी नहीं आ रही है।

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