लखनऊ। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में संसद द्वारा पारित संशोधन भारतीय संविधान की पवित्रता व उसकी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक आत्मा पर नाजीवादी विचारधारा का पोषक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा अपने इशारे पर केन्द्र सरकार द्वारा किया गया अक्षम्य अपराध है। संसद द्वारा पारित विधेयक इस देश को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना व सावरकर के द्विराष्ट्रवाद का भाग-2 है।
यह भारत के मुस्लिम समुदाय को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने व वोटों के ध्रुवीकरण के साथ संविधान के अनुच्छेद 14 की हत्या है। यह बात आज राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने भाजपा की केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुये कही। उन्होंने कहा कि धर्म व जाति के आधार पर लिये जा रहे निर्णय देश के धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने के साथ-साथ मुसलमानों को डराने, धमकाने का घिनौना षड़यंत्र है।
ऐसा लगता है कि सत्ता के बल पर देश में हिटलरवाद को स्थापित किया जा रहा है जिसे संविधान व धर्म निरपेक्षता के आईने में धर्म निरपेक्ष हिन्दू समुदाय भी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। डाॅ. अहमद ने कहा कि हम घुसपैठियों को संरक्षण देने के समर्थन में नहीं है लेकिन धर्म के आधार पर पारित संशोधन हमारे धर्म निरपेक्ष संविधान की आत्मा तथा भारत की सभ्यता व संस्कृति पर गम्भीर हमला है जिसका गांधी जी के रास्ते पर चलकर पुरजोर विरोध किया जायेगा।
भाजपा सरकार हिन्दू-मुसलमानों में भाईचारा तोड़ने और मुसलमानों को अलग थलग करने के साथ ही देश के वास्तविक मुददों जैसे महिला असुरक्षा, मंहगाई, बेरोजगारी व अपराध नियंत्रण में पूरी तरह असफल भारतीय जनता पार्टी संकीर्ण मानसिकता की राजनीति पर उतर आयी है। शोषित, पीडि़त, वंचित किसान, मजदूर त्राहि-त्राहि कर रहा है। भाजपा सरकार आरएसएस के इशारे पर धर्म-धर्म, नफरत-नफरत का घृणित खेल खेलने पर अमादा है। यह कहना अतिषयोक्ति न होगा कि देश में पुनः बटवारे की नींव डालने का षड़यंत्र किया जा रहा है।