दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग वाली याचिका पर पटियाला हाउस न्यायालय (Patiala House Court) सुनवाई जारी है। तिहाड़ कारागार प्रशासन ने न्यायालय में स्टेटस रिपोर्ट दायर की है। सरकारी एडवोकेट की तरफ से न्यायालय में बताया गया कि दोषियों की कोई दया याचिका लंबित नहीं है। दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है।
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने कारागार अधिकारियों को आदेश दिया था कि वह मुद्दे के चारों दोषियों को नए सिरे से नोटिस जारी करें व उन्हें एक सप्ताह के भीतर यह बताने के लिए कहें कि क्या वे राष्ट्रपति के सामने फांसी की सजा के विरूद्ध दया याचिका दायर कर रहे हैं या नहीं। दरअसल, निर्भया की मां ने निर्भया गैंगरेप के दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की मांग करती याचिका दायर की हुई है।
में दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका 18 दिसंबर ख़ारिज होने के बाद उसी दिन हुई थी। ट्रायल न्यायालय ने कारागार प्रशासन को आदेश दिया था कि वह दोषियों को नोटिस जारी कर उनसे पूछे कि पुनर्विचार याचिकाओं के ख़ारिज होने के बाद वह अब अपने बचाव में क्या क़ानूनी रास्ता अपनायेंगे व कितने दिन में।
निर्भया की मां ने ट्रायल न्यायालय यानि निचली न्यायालय से दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए ब्लैक वारंट जारी करने का गुहार लगाई है। ब्लैक वारंट वही निचली अदालत, सेशन न्यायालय जारी करती है जिसमें मुद्दे की ट्रायल हुई है। तिहाड़ कारागार प्रशासन ने चारों दोषियों को बुधवार को नोटिस जारी कर दिया था जिसमें उन्हें राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के लिए 7 दिन को मोहलत दी गई है।
यह नोटिस दिल्ली कारागार नियम 837 के तहत जारी किया गया है जिसमें दोषियों को नोटिस मिलने के बाद सात दिनों की मोहलत मिलती है राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के लिए। इस बीच अगर दया याचिका दायर नहीं होती है तो कारागार प्रशासन दोषियों के ख़िलाफ़ आगे की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। ट्रायल न्यायालय में अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
सुप्रीम न्यायालय ने बुधवार को मुद्दे के एक दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज कर दी थी जबकि अन्य तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका उच्चतम न्यायालय पहले ही ख़ारिज कर चुका है। इस तरह चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका उच्चतम न्यायालय में ख़ारिज हो गई है।