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गर्भावस्था के दौरान अपना व शिशु का ध्यान रखने के लिए डाइट में करना होगा ये बदलाव

गर्भावस्था एक बहुत ही गम्भीर समय होता है व इस समय महिलाओ को अपना विशेह ध्यान रखने की जरूरत होती है विशेषकर गर्भावस्था के लक्षण दिखने पर व पहली व तीसरी तिमाही में इसका विशेष ध्यान रखने की आवशयकता होती है

इस दौरान होने वाले हारमोनल बदलावों का मतलब है कि आप को थकान महसूस होगी। मुमकिन है कि बिना किसी बात के आप रोने लगें। ऐसे में खुद को भी व अपने आसपास के लोगों को भी यह बताने से कि हारमोनल परिवर्तन के कारण आप के साथ ऐसा हो रहा है, आप को ठीक ट्रैक पर रहने में मदद मिलेगी। पोषक स्नैक्स जैसे कटी सब्जियां, फल, योगर्ट, पनीर, दाल, स्प्राउट्स, सोया, दूध व अंडों का सेवन करें, क्योंकि ये गर्भवती कामकाजी स्त्रियों के लिए बिलकुल उपयुक्त होते हैं। गर्भवती स्त्रियों के लिए दिन में कम से कम 4 बार कैल्सियम युक्त भोजन करना बेहद आवश्यक है।

अगर आप गंभीर मौर्निंग सिकनैस की शिकार हैं, तो उस के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। प्राकृतिक घरेलू नुसखे भी अपना सकती हैं। इस के अलावा गर्भवती महिला को नियमित रूप से ठंडा पानी, नीबू पानी, ज्वार का पानी, इलैक्ट्रोल पी कर खुद को हाइड्रेट रखना चाहिए। उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे फलों, जूस या सप्लिमैंट्स से पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी मिल रहा हो।

गर्भवती महिला को अपने डाक्टरों की अपौइंटमैंट्स व ऑफिस की जिम्मेदारियों को नोट कर रखना चाहिए व इसे घर व औफिस दोनों स्थान हमेशा साथ रखें। ज्यादा थकान से बचने के लिए अपने शैड्यूल तक ही सीमित रहें। गर्भवती महिला को सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपने दिन का शैड्यूल इस तरह तय करे कि उस में आराम के लिए थोड़ा वक्त मिले। ऐसा करने पर उसे अधिक थकान नहीं होगी।

गर्भावस्था के दौरान अपनी देखभाल करना बेहद महत्त्वपूर्ण है, अपने स्वास्थ्य के लिए भी व गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी। अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर लें कि अगर आप को समय से पहले छुट्टी मिल जाए तो आप डाक्टर के पास जाने जैसे अलावा कार्य कर सकेंगी। जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ेगा आप के बढ़ते वजन के अनुसार शरीर के गुरुत्वाकर्षण का केन्द्र भी बदलेगा। इस वजह से पीठ में दर्द, पैरों में सूजन व मांसपेशियों में अकड़न हो सकती है। अगर आप दिन भर बैठी रहती हैं तो प्रत्येक 2 घंटे के अंतराल पर करीब 5 मिनट टहल लें। आप पैर रखने के लिए अपनी मेज के नीचे एक स्टूल भी रख सकती हैं। अगर आप को खड़ा होना है तो पीठ में दर्द से बचने के लिए स्टूल से एक बार में एक ही पैर उठाएं।

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