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एक पेड़ से निकला हुआ यह गोंद करता है सूजन को कम बवासीर में देता राहत

आयुर्वेद के अनुसार गुग्गुल या गुग्गल कटू, तिक्त तथा ऊष्ण प्रकृति का एक पेड़ से निकला हुआ गोंद होता है. यह शरीर में सूजन के अतिरिक्त कीड़ों को मारने  बवासीर में राहत देने का कार्य करता है. काले और लाल रंग का दिखने वाला गुग्गुल खुशबूदार  स्वाद में कड़वा होता है.

पोषक तत्त्व ( Guggul Nutrition Facts )
तासीर में गर्म, रूखा  हल्का होने के कारण यह पित्त बनाता है. यह भूख बढ़ाने वाला होता है जिससे शरीर को ताकत भी मिलती है. मीठा होने के कारण वात को, कसैला होने के कारण पित्त को  तीखा होने के कारण कफ संबंधी समस्या दूर करता है.

फायदे ( Guggul Benefits )
जोड़ों  मांसपेशियों में होने वाले दर्द, कब्ज, स्कीन संबंधी रोगों, बालों से जुड़ी समस्या, खट्टी डकार, थायरॉइड, पेट, दिल और मुंह संबंधी दिक्कत, सूजन, स्त्रियों में गर्भाशय  हाई ब्लड प्रेशर संबंधी समस्याओं में इसके चूर्ण से लेकर काढ़ा भी इस्तेमाल में लिया जाता है. किसी भी तरह के घाव, सिरदर्द, फेफड़े संबंधी समस्या में भी उपयोगी है.

इस्तेमाल ( How To Use Guggul )
अकेले या इसे किसी अन्य जड़ीबूटी के साथ ले सकते हैं. जो इसे लेते हैं वे खटाई, मसालेदार और कच्चे पदार्थों से परहेज करें. इस्तेमाल के दौरान नशीली चीजें न लें. ज्यादा मात्रा में लेने से लिवर को नुकसान होगा. दुष्प्रभाव के रूप में इससे कमजोरी, मुंह में सूजन आ सकती है.

ध्यान रखें : 2-4 ग्राम की मात्रा में इसे ले सकते हैं. शुद्ध गुग्गुल को खरीदा और उपयोग में लिया जाना चाहिए. शुद्ध करने के लिए इसके टुकड़े कर त्रिफला के काढ़े में विशेषकर दूध में डालकर उबालें. गिलोय के काढ़े में मिलाकर छानने और सुखा देने से भी यह शुद्ध हो जाता है.

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