रसोईघर में धनिया का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। धनिया के पौधे (छोटे) सहित हरी पत्तियां तो उपयोग में लायी ही जाती हैं, इसके पके हुए फल जो छोटे-छोटे और गोलाकार होते हैं, वे भी बहुत उपयोगी होते हैं। हरी पत्तियों की चटनी बनती है तथा सब्जियों में पत्तियों से स्वाद और सुगंध में भी फर्क पड़ता है।
सूखे धनिये का मसालों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। धनिया के बिना कोई भी मसाला तैयार नहीं होता।
आइये देखें कि धनिये की पत्तियों और इसके फलों का क्या-क्या उपयोग किया जाता है:-
– धनिये की हरी पत्तियां पित्तनाशक होती हैं। पित्त या कफ की शिकायत होने पर दो चम्मच धनिये की हरी-पत्तियों का रस सेवन करना चाहिए। इस मात्रा को तीन-तीन घण्टे के अन्तराल पर लेना चाहिए मगर आराम होने पर बन्द कर देना चाहिए।
– ज्वर के प्रकोप में उक्त मात्र का सेवन लाभदायक होता है।
– गृहिणी को शक्ति-प्रदान करता है तथा श्वास, खांसी और वमन होने पर धनिये की पत्तियों का रस चिकित्सक से पूछकर सही मात्र में लेना चाहिए।
– हरा धनिया या सूखा धनिये के फलों को कूटकर पानी में उबालकर अच्छी प्रकार से छान लें। अर्क को ठण्डा करके एक से दो बूंद तक आंखों में डालें। इससे जलन और पीड़ा से आंखों को आराम मिलता है।
गरमी की ऋतु में अक्सर इसे प्रयोग करने से आंखों में शीतलता बनी रहती है।
– धनिये के चूर्ण को मिश्री के साथ समभाग एक चम्मच ताजे पानी के साथ लेने से पेट के रोगों में आराम मिलता है।
– धनिये के चूर्ण और मिश्री को समभाग में लेकर चूर्ण बना लीजिए। 10 ग्राम चूर्ण एक छोटे गिलास या कम में उबालकर छानकर आधा कप मात्रा निराहार लें। सिर दर्द और आधा सीसी दर्द में आराम होता है।
– धनिये की हरी पत्तियों को पीसकर इन्हें छान लें। यह अर्क दो-दो बूंद नाक में टपकाने तथा माथे पर मलने से नकसीर बन्द हो जाती है।
– एक चम्मच धनिया एक गिलास पानी में डाल काढ़ा बनायें। चौथाई गिलास बचने पर एक चम्मच मिश्री और चौथाई गिलास चावल का मांड़ मिलाकर तैयार कर लें। इसे पीने से उल्टी में आराम मिलता है।
किसी वस्तु में जब गुण होते हैं तो कुछ दोष भी होते हैं। धनिये की हरी पत्तियों या सूखे फूलों के काढ़े का ज्यादा सेवन करने से जहां पुरूषों की यौन-शक्ति का हृास होता है, वहीं स्त्रियों के मासिक धर्म में भी रूकावट पैदा हो जाती है। धनिये का ज्यादा सेवन दमा के रोगियों को कष्टप्रद होता है।
कुछ भी हो, धनिये का मानव जीवन की परिधि में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। धनिया अमीर-गरीब सभी के भोजन में समान रूप से भागीदार है।