समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पूरी तरह अराजकता का जंगल प्रदेश बन गया है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज दिखाई नहीं दे रही है। राज्य में दबंग और अपराधी बेखौफ हो गए है। महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और मासूम बच्चियों तक की दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्याओं की वारदातें भाजपा सरकार को छोड़कर सभी को शर्मिंदा कर रही हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री जी ने दिल्ली के दंगों में उत्तर प्रदेश के लोगों का हाथ होने की बात कहकर उत्तर प्रदेश की खासी बदनामी कर दी है।
भाजपा उत्तर प्रदेश को देश-विदेश तक में बदनाम कर रही है। आखिर इस सबके लिए जिम्मेदारी किसकी है? जबकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की ही सरकार है। कुछ समय पहले महामहिम राज्यपाल महोदया ने उत्तर प्रदेश में सब ठीकठाक होने की बात कही थी, क्या अभी भी वह अपनी उसी राय पर कायम है? होली का त्योहार सद्भाव, प्रेम और परस्पर मैत्री का होता है पर ‘भाजपाराज‘ में यह दिन दुराचार, दुष्कर्म और हत्या, अपहरण का दिन बन गया। त्योहार की खुशिया गम और दर्द में बदल गई।
उन्नाव और चित्रकूट में 9-9 साल की बच्चियां होली के पर्व की खुशियों में शामिल थी किन्तु दरिंदों ने दुष्कर्म के बाद उनकी निर्ममता से हत्या कर दी। 9 वर्ष की एक और बच्ची की मैनपुरी में दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई। आगरा के सदर में भी एक बच्ची के साथ बलात्कार की घटना घटी।
कासंगज में चलती कार में एक महिला से सामूहिक दुष्कर्म हुआ। वह दवा लेने जा रही थी। उसे रास्ते में अगवा कर लिया गया। गोरखपुर के सहजनवां क्षेत्र में होली के बहाने घर में घुस आए दबंग ने युवती से गैंगरेप किया। मेरठ में एक युवती की गला दबाकर हत्या कर दी गई। हरदोई के ग्राम सुठेना में क्षेत्र पंचायत सदस्य ने एक युवक को गोली मार दी।
भाजपा सरकार ने कुछ दिनों पहले पर्यटन पुलिस का भी राग छेड़ा था। मथुरा में विदेशी पर्यटकों के साथ होली पर्व पर अभद्रता हुई। न तो भाजपा सरकार का कहीं एंटी रोमियों स्क्वाड दिखता है और नहीं पुलिस तंत्र। पुलिस को अब दूर से ‘नमस्ते‘ करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। राजधानी में ही सुशांत गोल्फ सिटी क्षेत्र में एक छात्र की सिर कूच कर हत्या की गई तो पीजीआई इलाके में एक किशोरी से छेड़छाड़ की गई। रोकने पर परिवारवालों पर हमला हुआ। तेलीबाग क्षेत्र में एक महिला के घर में जबरन घुसकर होली मनाने का मामला दर्ज है।
प्रदेश में कानून व्यवस्था के हालात सुधरने की उम्मीद कैसे की जा सकती है जब इसे सम्भालने वाले पुलिस मुहकमें के ही जिम्मेदार लोगों को खाकी को शर्मसार करने में संकोच नहीं होता है। राजधानी का ही हाल देखिए इन्दिरा नगर में एक दारोगा जी ड्यूटी छोड़कर एक डांसर से 21 बार ठुमके लगवाने का फर्ज अदा करते पाए गए। दारोगाओं के डांसरों के साथ मंच पर ठुमके लगाने और मनपसंद गाने बार-बार सुनने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। कुछ तो मंच से फायरिंग करने में नहीं चूकते हैं।
उत्तर प्रदेश में बढ़ती अव्यवस्था प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को नहीं दिखाई देती है। वह अभी भी अपराधियों को कड़े प्रवचन देने में ही अपने संवैधानिक कर्तव्य की इतिश्री समझ रहे हैं। प्रदेश जल रहा है, प्रदेशवासी भयग्रस्त हैं किन्तु शासन प्रशासन चलाने की जिन पर जिम्मेदारी है, वे चैन की बांसुरी बजा रहे हैं। जनता इस सबका हिसाब जरूर करेगी।