आयुर्वेद में सेक्स आनंद के अलावा शरीर को पोषण देने का माध्यम भी माना जाता है। एक पार्टनर के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए उनका शारीरिक संबंध बेहतर होना बहुत ही जरूरी है। सेक्स सिर्फ पीढ़ी बढ़ाने का ही जरिया नहीं बल्कि इससे एक दंपती के बीच आपसी रिश्ते और तालमेल भी बेहतर रहते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है ‘सेक्स का दूसरा काम हमें गहराई तक पोषित करना भी है’। आयुर्वेद में अलग-अलग वक्त पर सेक्स करने के अलग मतलब और इसके फायदे-नुकसान बताए गए हैं। आइए जानते हैं।
आयुर्वेद में माना जाता है कि सुबह 6 बजे से 8 बजे के दौरान पुरुष सबसे ज्यादा उत्तेजित होते हैं, हालांकि इस दौरान महिलाएं नींद में होती हैं और उनके शरीर का तापमान कम होता है। इसलिए इस वक्त सेक्स पुरुषों के लिए तो बढ़िया रहता है लेकिन महिलाओं इस वक्त सेक्स ज्यादा एंजॉय नहीं करतीं। सेक्स से शरीर में वात दोष बढ़ता है इसलिए सूरज निकलने के बाद से सुबह 10 बजे तक का समय सेक्स के लिए बेस्ट होता है। सर्दी और बसंत ऋतु की शुरुआत सही मौसम माने जाते हैं। गर्मी और पतझड़ के समय वात बढ़ जाता है इसलिए हमें सेक्स और ऑर्गैज्म की फ्रीक्वेंसी कम कर देनी चाहिए। आयुर्वेद के मुताबिक माना जाता है कि बेस्ट सेक्स पोजिशन वह है जिसमें महिला पीठ के बल मुंह ऊपर की ओर करके लेटे।