लखनऊ। प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 (Advocate Amendment Bill 2025) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता लामबंद (Mobilized) हो गए हैं। शुक्रवार को लखनऊ में बार एसोसिएशन (Bar Association) के बैनर तलेअधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर कलेक्ट्रेट से हजरतगंज तक विरोध मार्च (protest march) निकाला। इस दौरान वकीलों ने विधानसभा घेरने की कोशिश भी की, हालांकि पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर आगे बढ़ने से रोक लिया। इसी तरह वाराणसी, बिजनौर, फर्रुखाबाद समेत अनेक जिलों में अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया। यूपी बार काउंसिल ने अधिवक्ता संशोधन बिल के विरोध में 25 फरवरी को प्रदेश व्यापी हड़ताल (State-wide strike) की चेतावनी दी है।
एडवोकेट्स एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं ने एकजुटता दिखाई है। राजधानी समेत प्रदेश के प्रमुख जिलों में अधिवक्ता काली पट्टी बांधकर सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी बार काउंसिल के आह्वान पर शुक्रवार को अधिवक्ताओं ने कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया। इस मुद्दे पर यूपी बार काउंसिल ने 25 फरवरी को न्यायिक कार्य से दूर रहने की चेतावनी दी है। बार काउंसिल ने प्रदेश की सभी बार एसोसिएशन्स को पत्र लिखकर 25 फरवरी को न्यायिक कार्य का बहिष्कार करने और कला दिवस मानाने की अपील की है।
प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल के विरोध में लखनऊ में बड़ी तादाद में अधिवक्ताओं ने हजरतगंत स्थित गांधी प्रतिमा तक मार्च निकाला। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए लखनऊ पुलिस पहले से अलर्ट थी। स्वास्थ्य भवन से लेकर विधानसभा तक भारी फोर्स तैनात थी। केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर पुलिस बैरिकेट लगाए गए थे। डीसीपी, एडीसीपी, एसीपी समेत पुलिस फोर्स परिवर्तन चौराहा पर मोर्चा संभाले थे।
लखनऊ के अलावा बिजनौर, फर्रुखाबाद और वाराणसी में भी अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता संशोधन बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। फर्रुखाबाद में अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट परिसर में जमकर नारेबाजी की। अधिवक्ता संघ के जिला अध्यक्ष राजेश चतुर्वेदी ने अधिवक्ता संसोधन बिल को काला कानून करार देते हुए इसे किसी कीमत पर लागू नहीं होने का संकल्प लिया।
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गौरतलब है कि अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 का मसौदा कानून मंत्रालय ने जारी किया है। इसमें एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा को वैश्विक स्तर का बनाना बताया गया है। कानूनी शिक्षा में सुधार, अधिवक्ताओं को बदलती दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार करना और पेशेवर मानकों को बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा.
इस प्रस्तावित बिल में कई प्रावधान हैं, जिसे अधिवक्ता अपने पेशेगत प्रतिष्ठा के विपरीत बता रहे हैं।