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देश और संविधान के हित में सभी दलों को एक मंच पर आना चाहिए: इमरान हसन

लखनऊ। अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन (इण्डिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान हसन सिद्दीकी ने आज प्रेस वार्ता आयोजित कर देश के सभी उलमा इकराम व दानिशों का आह्वान करते हुए कहा कि मौज़ूदा राजनीतिक हालातों में राजनीतिक पार्टियों की बेबसी तथा भाजपा सरकार की दलित व मुस्लिम विरोधी नीतियों के कारण समाज में एक वैक्यूम क्रिएट हो गया है, जिसे एक दिशा देने की शख्त जरूरत है।

जिस तरीके से उलमा इकराम ने देश की आज़ादी में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया उसी तरह से मौजूदा हालात में देश और संविधान बचाने के लिए एक कारगर रणनीति बनानी चाहिए। ताकि देश को आजादी दिलाने के लिए जिन लाखों करोड़ों लोगों ने अपनी जान की आहुति दी उनके सपनों के भारत का निर्माण हो सके। हमारे डेमोक्रेटिक देश में जनता को सरकार चुनने का अधिकार है और उसके हर वोट का बड़ा महत्व होता है।

आईवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि, 70 सालों में तमाम पाॅलिटकल पार्टियों द्वारा छले जाने के बाद यह ज़रूरी हो गया है कि, पर्सनल लाॅ बोर्ड और जीमयत उलमा-ए-हिन्द व तमाम कौमियत के आधार पर कार्य करने वाले गौर राजनीतिक संगठन एक जुट होकर समाज और देश की तरक्की के लिए एक राजनीतिक विंग बनायें जो मुद्दों के आधार पर निजी स्वार्थ से ऊपर न्याय, बंधुता, स्वतंत्रता और समता के आधार पर कार्य करने वाली आदर्श सरकार की स्थापना करें। आजादी के आंदोलन से दूर रहने वाली आर.एस.एस. ने अपने खास एजेंडे पर लगातार प्रयासरत रहते हुए पूरे देश में सत्ता स्थापित कर ली जब कि, जीमयत-ए-उलमा हिंद आज़ादी की लड़ाई के दौरान बड़ी तंजीम हुआ करती थी उनके मुकाबले काफी पीछे है।

लिहाजा उलमा इकराम व दानेश्वर पूरे देश में एक पाॅलिटिकल विंग का गठन करें और तमाम राज्यों में समान सोच वाली पार्टियों के साथ मिलकर देश हित और संविधान की रक्षा के लिए डेमोक्रेटिक सेटअप को मज़बूत बनाने की दिशा में पहल करें। जिससे जनता के एक-एक वोट का महत्व बना रहे। इलेक्शन में देश भर से तमाम मुस्लिम नाम वाली या मुसलमानों का सरपरस्त बताकर जो पार्टियां चुनाव में उतरती हैं वह सभी मुसलमानों का वोट छिन्न भिन्न करने के इरादे से खड़ी की जाती हैं।

इमरान हसन ने कहा कि, यदि वास्तव में ये पार्टियां कौम की हितैशी और तरक्की चाहती हैं तो ये एक साथ एक मंच पर क्यों नही आतीं। जम्हूरियत में एक-एक वोट की कीमत को देखते हुए उलमा इकराम को चाहिए वह कौम, देश और संविधान के हित में सभी कौमी दलों को एक करने का आह्वान करें और सभी मस्लकों को उनकी तादात के मुताबिक हिस्सेदारी देते हुए एक राजनीतिक दल का गठन करें।

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